कोण्डागांव

स्व-सहायता समूह की महिलाएं बना रही गोबर से पेंट
25-Feb-2023 2:55 PM
स्व-सहायता समूह की महिलाएं बना रही गोबर से पेंट

अब तक 3 हजार किलो से अधिक प्राकृतिक पेंट का उत्पादन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोंडागांव, 25 जनवरी।
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा एक अनूठी पहल करते हुए राज्य में गोबर से निर्मित प्राकृतिक पेंट का निर्माण किया जा रहा है। वर्तमान में इस पेंट का उपयोग सरकारी भवनों, स्कूलों एवं छात्रावासों की पुताई के लिए किया जा रहा है। लोक निर्माण विभाग द्वारा कलेक्टोरेट बिल्डिंग का वर्तमान में गोबर पेंट से पुताई की जा रही है, जिससे यह भवन सुन्दर और आकर्षक परिलक्षित हो रही है।

गाय के गोबर से निर्मित पेंट निर्माण करने की इकाई राज्य के विभिन्न जिलों में स्थापित की जा चुकी है। इस प्राकृतिक पेंट के इस्तेमाल से न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिल रही है, साथ ही गौठानों में इसके निर्माण से स्व सहायता समूह की स्थानीय महिलाओं को रोजगार मिल रहा हैं जिससे उनकी आय में वृद्धि भी हो रही है।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में 200 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गोबर खरीदी की जा रही है। इस गोबर का उपयोग जैविक खाद के अलावा गोबर के पेंट बनाने में किया जा रहा है। कोंडागांव जिले के मर्दापाल रोड स्थित शहरी गौठान में 26 जनवरी 2023 को गोबर से प्राकृतिक पेंट निर्माण इकाई का लोकार्पण किया गया है। जहां स्व सहायता समूह की 6 महिलाओं द्वारा गोबर से निर्मित प्राकृतिक पेंट का निर्माण किया जा रहा है।

इस समूह की अध्यक्ष मीना विश्वास बताती हैं कि यहां गोबर से डिस्टेंपर एवं इमल्शन पेंट का निर्माण किया जा रहा है। स्थापना के एक माह में ही 3 हजार किलो से अधिक पेंट का निर्माण किया जा चुका है, जिसमें से 405 किलोग्राम पेंट वनमंडल केशकाल, 240 किलोग्राम पेंट पीडब्लूडी विभाग एवं 21 किलोग्राम आश्रय स्थल कोंडागांव को अब तक कुल 1 लाख 46 हजार 625 रुपए के 666 किलोग्राम गोबर पेंट का विक्रय किया जा चुका है। साथ ही हमें लोक निर्माण एवं जिला निर्माण समिति से 3 लाख रुपए की पेंट क्रय हेतु अग्रिम राशि भी प्राप्त हो चुका है।

अब गोबर से प्राकृतिक पेंट निर्माण के फलस्वरूप स्थानीय स्तर पर उपलब्ध गोबर का सदुपयोग कर  ज्यादा से ज्यादा युवाओं, महिलाओं और ग्रामीणों को रोजगार प्राप्त हो रहा तथा वे आर्थिक रूप से सशक्त भी हो रहे हैं। इस आयमूलक गतिविधि से जहां इन महिला समूहों की आय में वृद्धि हो रही है वहीं शासकीय भवनों तथा आम लोगों के घरों के लिए किफायती दर पर इमल्शन एवं डिस्टेंपर पेंट सुलभता से प्राप्त हो रहा है।
 

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