बलौदा बाजार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 3 मई। कसडोल विधानसभा की प्रमुख जनप्रतिनिधि के निजी सचिव की बगैर रॉयल्टी पर्ची रेत परिवहन कर रही अवैध गाड़ी पर कार्रवाई करने वाले तहसीलदार नीलमणि दुबे को अंतत:हाईकोर्ट के आदेश के उपरांत पुन: पलारी तहसील कार्यालय में पदस्थ कर दिया गया है।
ज्ञात हो कि कार्रवाई के 3 घंटे बाद ही तहसीलदार को प्रतिनियुक्ति पर कार्यालय प्रमुख निर्वाचन पदाधिकारी छत्तीसगढ़ रायपुर में आगामी आदेश पर्यंत पदस्थ किया गया था। उसके बाद पलारी तहसील कर्मियों एवं अधिवक्ताओं ने आदेश के खिलाफ मोर्चा खोला था।
हल्ला है कि कलेक्टर रजत बंसल के स्थानांतरण की यह भी एक प्रमुख वजह है क्योंकि प्रमुख प्रतिनिधियों द्वारा तत्कालीन कलेक्टर पर तहसीलदार के खिलाफ कार्रवाई का दबाव बनाया था। जिससे उन्होंने नियमों का हवाला देकर नकार दिया था, अब हाईकोर्ट के आदेश पर तहसीलदार श्री दुबे फिर यहां आ गए हैं।
शासन की छवि लगातार हो रही धूमिल
विदित हो रेत खनन का कार्य प्रात: 6 से शाम 6 बजे तक मैनुअली किया जाता है। इस कार्य हेतु बड़ी वाहनों का उपयोग प्रतिबंधित है यही नहीं उत्खनन का असर नदी के प्रवाह पर भी नहीं होना चाहिए। घाट पर रेत भरने वाले मजदूरों के लिए मेडिकल सुविधा सीसीटीवी कैमरा के अलावा पर्यावरण संरक्षण हेतु व्यापक स्तर पर पौधारोपण करना अनिवार्य है। परंतु रेत ठेकेदारों ने शासन द्वारा अधिक लाभ कमाने के उद्देश्य से स्वीकृत स्थल की अपेक्षा अन्यत्र उत्खनन कर नदी के पर्यावरण के अलावा शासन और रॉयल्टी की भारी क्षति पहुंचा रहे हैं।
भारी ओवरलोड वाहनों के आवागमन से ग्रामीण इलाकों की प्रमुख सडक़ें जर्जर होने के अलावा आए दिन दुर्घटनाएं घटित हो रही हैं। क्षेत्रीय जनता की अपेक्षा के अनुरूप माफिया पर कार्रवाई नहीं होने अवैध परिवहन तथा उत्खनन में जनप्रतिनिधियों की संलिप्तता तथा पलारी में तहसीलदार को हटाया जाने जैसी घटना से शासन की छवि भी धूमिल हो रही है।