बलौदा बाजार
स्कूलों का बुरा हाल, कई जर्जर तो कई गिरने की कगार पर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदा बाजार, 5 मई। जिले में स्कूलों का बुरा हाल है। कहीं स्कूल भवन जर्जर है तो कहीं भवन विहीन है। इसके बच्चे कहीं मिडिल तो कहीं पेड़ के नीचे पढऩे को मजबूर हैं। कुछ में शौचालय का पुनर्निर्माण अति आवश्यक है। कुछ में तो शौचालय जर्जर अवस्था में है, जो टूट कर गिरने लगे हैं। वहीं कुछ स्कूलों के भवन इतने जर्जर हो गए हैं कि उन्हें डिस्मेंटल करना बेहद जरूरी हो गया है। कई स्कूलों की छत गिर रही है और कई टपक रही है।
उल्लेखनीय है कि शिक्षा सत्र 2022-23 का खत्म हो गया है। अगले महीने से नया शिक्षा सत्र शुरू हो जाएगा। बच्चों में भी नई चुनौती को लेकर उत्साह होगा। शिक्षा विभाग भी प्रवेश उत्सव की तैयारी में जुटेगा, लेकिन इस बार भी सरकारी स्कूलों की हालत में सुधार नहीं हो पाया है।
छात्र-छात्राएं फिर नए सत्र में इन काम चलाउ सुविधाओं के बीच मजबूरी में पड़ेंगे। सरकार के भरोसे पढ़ रहे इन बच्चों को फिर सुविधाओं के अभाव में शिक्षा दी जाएगी। जर्जर भवन में पढऩे वाले इन बच्चों को शौचालय और पीने तक को पानी नहीं मिलता, इसके अलावा शिक्षकों की कमी से भी गुजरना पड़ता है। पढ़ाई के साथ बच्चों को इस चुनौती का भी सामना करना पड़ेगा।
21 स्कूलों के बच्चे पेड़ के नीचे पढ़ रहे हैं
बलौदाबाजार जिले के 13 हाई स्कूल और आठ हाई सेकेंडरी स्कूल सहित 21 स्कूल भवन विहीन हंै। इसके बच्चे कहीं मिडिल तो कहीं पेड़ के नीचे पढऩे को मजबूर हैं।
212 स्कूल ऐसे हैं, जहां पर शौचालयों का पुनर्निर्माण अति आवश्यक है, वहीं 281 स्कूलों में शौचालय जर्जर अवस्था में है, जो टूट कर गिरने लगे हैं।
291 प्राइमरी और 75 मिडिल स्कूल और दो हाई सेकेंडरी स्कूल सहित 367 स्कूल डिस्मेंटल करने की स्थिति में है। अगर उन्हें डिस्मेंटल नहीं किया गया तो कभी भी कोई भी बड़ी दुर्घटना घट सकती है।
40 स्कूलों में बिजली नहीं
जिले के 40 स्कूल ऐसे हैं, जहां बिजली ही नहीं है, ऐसे में छात्र-छात्राएं फिर से नए सत्र से मजबूरी में अंधेरे और गर्मी में पढ़ाई करेंगे। इसके अलावा 57 प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं, जहां सिर्फ एक शिक्षक ही पढ़ाते हंै। अंदाजा लगाया जा सकता है कि पांच कक्षाओं में पांच-पांच विषयों को एक ही शिक्षक कैसे और क्या पढ़ा पाता होगा। इससे भी हैरान करने वाली बात यह भी है कि जिले में 2 स्कूल ऐसे भी हैं, जहां शिक्षक ही नहीं हैं। ऐसे में इन स्कूलों में व्यवस्था के तहत पढ़ाई कराई जा रही है।
भवन की दीवारें गिर रही है, टंकी की सफाई भी नहीं
प्राथमिक शाला जांगड़ा में भवन में ऐसी कोई दीवार नहीं है, जिसमें दरारे न देखने को मिले। सिर्फ इतना फर्क है कि कहीं पतली तो कहीं मोटी दरारें हैं। फ्लोरिंग तक उखड़ गई है, वहीं शसकीय प्राथमिक शाला ढाबाडीह के भवन की हालत इससे भी अधिक खराब है। एक जगह तो दीवारें फट चुकी है इन क्षतिग्रस्त स्कूलों में अकेले भाटापारा विकासखंड में 121 स्कूल ऐसे हैं, जहां के भवन अत्यधिक जर्जर हो चुकी हैं, वहीं पानी टंकियों की कई साल से सफाई नहीं हुई है।
जर्जर भवनों का काम जल्द होगा शुरू- डीईओ
जिला शिक्षा अधिकारी सीएस ध्रुव ने बताया कि जो स्कूल जर्जर है, उसमें छोटे-मोटे काम हैं। उन स्कूलों की जानकारी बनाकर हमने भेज दी है। कुछ स्कूलों के लिए राशि भी आ चुकी है। मरम्मत हो या निर्माण कार्य, जल्द कराया जाएगा।