राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 14 मई। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत कृषकों को फसल बीमा कराने एवं दावा राशि के भुगतान के संबंध में एक ही नाम के दो गांव होने पर समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना मौसम खरीफ एवं रबी 2022-23 अंतर्गत जिला कृषि विभाग कार्यालय एवं विभिन्न बैंकों द्वारा उपलब्ध कराये गये ग्रामों की सूची अनुसार राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल का राजस्व एवं भू-अभिलेख विभाग के भुंईया पोर्टल से लैंड रिकार्ड इंटिग्रेशन होने के कारण तकनीकी समस्या उत्पन्न होने से राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल में कृषकों की प्रविष्टि में बाधा आ रही है। इस प्ररिपे्रक्ष्य में राज्य स्तर पर कृषि विभाग, भू-अभिलेख तथा राष्ट्रीय सूचना एवं विज्ञान केन्द्र स्तर पर एनसीआईपी पोर्टल में प्रविष्टि हेतु लंबित ग्रामों के कृषकों को बीमा आवरण में शामिल कर प्रकरणों का समाधान करने की कार्रवाई की जा रही है, जिसे यथाशीघ्र सुधार कर लिया जाएगा।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रावधानानुसार कृषकों को फसल उत्पादन में क्षति के अतिरिक्त बुआई नहीं हो पाने, रोपण बाधित होने, मौसम प्रतिकूलताओं के कारण नुकसान, स्थानीय आपदाओं की स्थिति होने पर कृषकों को संबल प्रदान करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू की गयी है।
इस योजना के तहत शासन द्वारा कृषकों के फसल खराब होने पर उन्हें बीमा कवर प्रदान किया जाता है, यानि फसल खराब होने पर बीमा दावा राशि कृषकों को प्रदाय की जाती हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक आपदा से हुये फसल नुकसान पर पीडि़त कृषकों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। जिससे कृषकों को नवीन और आधुनिक कृषि पद्धति अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके तथा कृषकों की आय को स्थिर एवं उनकी खेती में निरंतरता सुनिश्चित हो सके।
इस योजना के तहत शासन द्वारा कृषकों को फसलों के नुकसान पर अलग-अलग धन राशि प्रदान की जाती है। अंतिम भुगतान हेतु दावा गणना आयुक्त भू-अभिलेख छत्तीसगढ़ द्वारा अधिसूचित क्षेत्र एवं अधिसूचित फसलों के लिए निर्धारित न्यूनतम अनिवार्य संख्या में किये गये फसल कटाई प्रयोग से प्राप्त औसत उपज के आकड़ों के आधार पर की जाती है।