राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 14 मई। कृषकों के समग्र एवं स्थायी विकास के लिए कृषि के साथ पशुधन विकास की परिकल्पना पूर्व से ही की जाती रही है। शासन की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना के तहत संचालित गौठानों में गोबर क्रय, वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन व विक्रय एवं आजीविका से संबंधित गतिविधियां संचालन किया जा रहा है। जिसके तहत ग्रामीण एवं शहरी पशुपालकों की अर्थव्यवस्था में सुधार आ रहा है। जिले में कृषकों द्वारा बहुतायत की संख्या में पशुपालन का व्यवसाय कर, गोबर विक्रय किया जाता है।
इस योजना के लागू होने के पूर्व कृषक पशुपालन व्यवसाय से विमुख होते जा रहे थे, क्योंकि पशुधन संरक्षण एवं विकास के लिए वृहद स्तर पर योजना संचालित नहीं थी। ग्रामीण अंचलों में पशुओं के चारागाह अतिक्रमण के कारण विलुप्त प्राय हो गये थे। गाय एवं भैंस वंशीय पशुओं के गोबर की व्यवस्थित ढंग से उपयोग नहीं होने, वैज्ञानिक पद्धति से ऑर्गेनिक खाद का उत्पादन नहीं करने एवं खुले पशुओं द्वारा उत्सर्जित गोबर को एकत्र नहीं करने के कारण कृषकों को इसका लाभ नहीं मिल रहा था। इस योजना से गोबर से निर्मित वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट, ऑर्गेनिक खाद से कृषकों के खेतों में जैविक खेती की दिशा में उत्कृष्ट पहल की जा रही है। रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों का उपयोग कम होने से भूमि, जल, वायु, पर्यावरण के प्रदूषण को कम करके
भोज्य श्रृंखला में रसायनों के अवशेष को कम किया जा रहा है। जिससे खाद्य पदार्थों के गुणवत्ता में सुधार होने की पूर्ण संभावना है। वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग से भूमि की भौतिक दशा में सुधार हो रहा है एवं उपजाऊ क्षमता में वृद्धि हो रही है। आगामी खरीफ 2023 हेतु रासायनिक उर्वरकों के खपत को कम करके गुणवत्तापूर्ण अधिकतम वर्मी कम्पोस्ट कृषकों को उपलब्ध कराने की दिशा में सार्थक प्रयास किया जा रहा है।
कलेक्टर डोमन सिंह के मार्गदर्शन में गोधन न्याय योजना के सुचारू रूप से संचालन हेतु निरंतर कृषक प्रशिक्षण, संगोष्ठी, किसान मेला, गौठान मेला का आयोजन किया जा रहा है। गोधन न्याय योजना के तहत जिले में 4 विकासखंडों के 407 ग्राम पंचायतों में 2 हजार 310 ग्रामीण पशुपालकों को 420 सक्रिय गौठानों के लिए जनपद पंचायतों मुख्य कार्यपालन अधिकारी के माध्यम से विगत पखवाड़े में गोबर विकेताओं के लिए 5 लाख 6 हजार 501 रूपए की राशि का भुगतान किया गया है।
ग्रामीणों एवं पशुपालकों की सक्रिय सहभागिता से गौठानों को स्वावलंबी बनाने निरंतर सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं। इस योजना से 16 हजार 989 ग्रामीण एवं 757 नगरीय पशुपालकों को लाभान्वित किया गया है। गोधन न्याय योजना ग्रामीण एवं शहरी पशुपालकों के आय और रोजगार सृजन का लाभकारी साधन बन गया है।