बलौदा बाजार
शहर में 19 लाख वर्ग फीट सरकारी जमीन थी अब घटकर रही गई 30 हजार वर्ग फीट
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 3 जुलाई। अवैध कब्जों के कारण बलौदाबाजार शहर का नक्शा ही बदल गया हैै। शहर की सडक़ों से फुटपाथ गायब है तो शहर से वह गलियां गायब हो गई, जिससे लोग आया जाया करते थे। राजस्व विभाग से मिली जानकारी के अनुसार शहर में विभिन्न मदों की कुल 19 लाख 46 हजार 936 वर्ग फीट सरकारी जमीन में से सरकारी कार्यालय शासकीय स्कूलों तालाबों उद्यानों के बाद शहर की अधिकांश जमीन को अवैध कब्जा धारियों ने निगल लिया हैै। अब सिर्फ 30 हजार 500 वर्ग फीट की जमीन ही खाली बची है। करीब 10 फीसदी यानी 2 लाख वर्ग फीट जमीन पर अवैध कब्जा हो चुका है।
यदा-कदा सडक़ों के किनारे स्थाई कब्जे हटाने के लिए शुरुआती प्रयास वाहवाही की मंशा से किया जा रहा है या इसमें प्रतिबद्धता भी है, यह तब साबित होगा जब रसूखदार अतिक्रमणकारियों के पक्के व स्थाई अवैध कब्जे हटाए जाएंगे। शासकीय जमीनों पर संजय कॉलोनी पांडे पारा इंदिरा कॉलोनी पंचशील नगर जैसे बड़ी बड़ी कॉलोनी या बस चुकी हैं। इन कॉलोनियों में कब्जे की शुरुआत झोपड़पट्टी से हुई थी जो अब दो तीन मंजिल मकानों में तब्दील हो चुकी है। महज 3 साल के अंदर ही रामसागर तालाब पिपराहा तालाब से लगे डबरी के किनारे व ईदगाह के बीच की सडक़ के किनारे पर ही 100 से अधिक झुग्गियां झोपड़पट्टी बन गई है। सब्जी बाजार भैंसा पसरा में आधे से अधिक हिस्से पर कब्जा कर लिया गया है, वहीं पुराना बस स्टैंड की अधिकतर जमीन पर कब्जा हो चुका है।
शहर के विशाल पिपरा तालाब व उससे लगे डबरी किनारे तथा रामसागर पि_ू देवराहा तालाब के किनारे आधे से अधिक हिस्सा अवैध कब्जों की चपेट में आ चुका है। सरोवर धरोहर अभियान के दौरान ही तत्कालीन सरकार ने तालाबों के किनारे हो रहे अवैध निर्माण के प्रति सख्ती दिखाई हाईकोर्ट ने भी तालाब के किनारे तीव्र गति से हो रहे अतिक्रमण को पर्यावरण के लिए अशुभ संकेत बताते हुए इस पर सरकार को कार्रवाई के आदेश दिए थे मगर यही पीएम आवास और सडक़ बना दी गई।
शहर के मुख्य मार्ग से लगी 10 एकड़ जमीन का आवंटन और व्यवस्थापन भी दिया गया जमीन के अभाव में स्कूल कॉलेज हॉस्पिटल खेल मैदान समुदायिक भवन सहित कई सार्वजनिक प्रोजेक्ट फेल हो जाते हैं। दूसरी सारी समस्या यह है कि शासकीय जमीन पर लोग कब्जा कर लेते हैं बस्ती बस जाती है। इसे हटाने के लिए प्रशासन को पूरा अमला झुकना पड़ता है। जिससे लोगों के पास शासन का भी नुकसान होता है।
रिकॉर्ड भी दुरुस्त नहीं कर पाया विभाग
1884, 1998 तथा 2002 में सरकारी जमीनों का सालों से काबिज लोगों को पट्टा वितरण किया गया। आज 18 साल बीत जाने के बाद स्थानीय प्रशासन ने किसके पास कितनी साइज का अवैध पट्टा है व कौन बिना पट्टे के ही काबिज कर लिया है। इसका भी सर्वे ही नहीं कराया गया। नतीजा पट्टे में उन्हें 200 वर्ग फीट जमीन मिली है वह 400 वर्ग फीट पर काबिज है।
एसडीएम बलौदाबाजार रोमा श्रीवास्तव ने कहा कि अवैध स्थाई कब्जे की शिकायतों को नगरी निकाय प्रशासन के संज्ञान में लाकर उन्हें इन पर कार्रवाई करने के लिए निर्देशित कर दिया जाएगा।