गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 19 जुलाई। पूर्व पालिकाध्यक्ष एवं भारतीय जनता पार्टी आर्थिक प्रकोष्ठ के रायपुर जिला ग्रामीण के संयोजक विजय गोयल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर एक समाचार पत्र में नवापारा कृषि उपज मंडी के अध्यक्ष गोपेश ध्रुव द्वारा विगत दिनों अचानक धान के मूल्यों में आई कमी को लेकर के केंद्र सरकार को जवाबदार ठहराया है।
उनका कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा चावल निर्यात पर 5.2 प्रतिशत टैक्स लगाये जाने की वजह से कृषि उपज मंडी में धान के मूल्य कम हो गये है, जो कि निराधार है,गोपेश कृषि उपज मंडी में किसानो के हितो की रक्षा के लिए एक जवाबदार पद पर बैठे है, उनका बयान हास्यास्पद एवं गैरजिम्मेदाराना है। उनका बयान सीधे तौर पर राजनितिक षड्यंत्र कर किसानों को दिग्भ्रमित करना है, हकीकत ये है कि धान के मूल्यों में अचानक 150 से 200 रुपए तक कमी आने के कारण राज्य सरकार द्वारा धान खरीदी पर 5.2 प्रतिशत टैक्स लगाना है। गोपेश चाहे तो दिनांक 30/11/2021 में कृषि उत्पादन आयुक्त एवं सचिव छत्तीसगढ़ शासन की अधिसूचना जो कि कृषि उपज मंडी नवापारा में भी उपलब्ध है, उसे देख सकते है।
राज्य सरकार द्वारा किसानों से समर्थन मूल्य में धान खरीदी के लिए केंद्र सरकार से मंडी शुल्क 5.2 प्रतिशत टैक्स की मांग की गयी थी, जिसे कि केंद्र सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया था, चूँकि केंद्र सरकार में बैठे जवाबदार जनप्रतिनिधियों को पता था, शुल्क बढ़ाने से सीधे-सीधे किसानों का ही नुकसान होगा, लेकिन राज्य सरकार ने वर्ष 2021-22 में बढ़ा हुआ टैक्स व्यापारियों द्वारा धान खरीदी के लिए यथावत रखा गया, यह बताना आवश्यक है, कि निर्यात व्यापार प्रतिस्पर्धा मूल्य पर होता है, छत्तीसगढ़ में समुद्री पोर्ट नहीं है, चावल निर्यात हेतु निकटतम पोर्ट विशाखापट्नम, काकीनाडा आदि भेजने पर शासन के विभिन्न टैक्स के अतिरिक्त परिवहन व्यय भी भुगतान करना पड़ता है, जिससे लागत मूल्य बढ़ जाती है, अंतत: किसान ही प्रभावित होता है।
मंडी शुल्क एवं कृषक कल्याण शुल्क यह सेवा के बदले ली गयी, सेवाराशी का रिम्बस्मेंट है।
मंडी में सेवा वृद्धि के बिना एवं कोई युक्ति युक्त कारण बताये बिना अधिकतम 2 प्रतिशत से राज्य सरकार के द्वारा 5 प्रतिशत किया जाना न्यायहित में नहीं है, यह स्पष्त: अघोषित रूप से मंडी शुल्क का रूप परिवर्तन कर मंडी टैक्स किया जाना है। किसानों के द्वारा रबी फसल की बुआई के लिए राज्य सरकार से नहरों से पानी देने के लिए गुहार लगाई जाती रही है, लेकिन राज्य सरकार ने इसे अनदेखा किया और जिन किसानो के पास पानी बोर के साधन थे, उन किसानों ने रबी फसल की धान की बम्फर पैदावार ली, परिणाम यह हुआ कि किसानो को ऐतिहासिक धान का मूल्य प्राप्त हुआ। भूपेश सरकार किसानों के प्रति क्या सोच रखती है, वर्तमान परिवेश में जब खेती किसानी काफी दुष्कर कार्य हो गया है, जिसके चलते किसान खेती किसानी से हतोत्साहित होकर अपनी जमीने बेच रहे है, और जिससे खेती का रकबा लगातार कम होने लगा है, इसके अलावा कर्ज के बोझ तले दबकर किसान लगातार आत्महत्या कर रहे है, ऐसी परिस्थिति में सरकार को जल्द से जल्द अपना यह तुगलकी फरमान वापस लेना होगा, अन्यथा आने वाले चुनाव में सरकार परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे।