राजनांदगांव
पानी की कमी से खेतों में पड़ी दरारें
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 13 अगस्त। मानसून के अगस्त के पहले पखवाड़े में ब्रेक लगने से किसानों की चिंता बढ़ गई है। जुलाई में मूसलाधार हुई बारिश अगस्त के महीने में एकदम से थम गई है। मानसून के रूठने से फसलों को नुकसान होने का अंदेशा बढ़ गया है। किसान इस बात से परेशान है कि अगले एक-दो दिन के भीतर अच्छी बारिश नहीं होने से फसलों को बचाना मुश्किल हो जाएगा।
पानी की कमी से फसल की बढऩे की क्षमता भी प्रभावित हुई है। तेज धूप के कारण तेजी से खेतों के पानी का वाष्पीकरण हो रहा है। हालांकि बांध-बैराज खेतों को पानी देने के लिए अच्छी स्थिति में है, लेकिन इससे रबी के सीजन में पानी देने का संकट खड़ा हो जाएगा। जुलाई में अच्छी बारिश से बांध-बैराज छलक रहे हैं। अब फसल को बढऩे के लिए अधिक पानी की जरूरत है। खेतों में अब दरारें पडऩे लगी है। इस साल मानसूनी बारिश से 65 फीसदी जल भराव हो गया है। भादो के महीने में भी अच्छी बरसात होती है। पानी की कमी से खेतों में निंदाई के लिए परेशानी खड़ी हो गई है। निंदाई करते किसान खड़े हो चुके पौधों को कतारबद्ध तरीके से लगाते हैं, इसके लिए पर्याप्त पानी होना जरूरी है। कुछ खेतों के पौधों में पीलापन दिखने लगा है। यानी ऐसे पौधों को तत्काल पानी की जरूरत है। उमस और गर्मी के असर से पानी तेजी से सूख गए हैं।
बड़े किसान पंप के जरिये सिंचाई कर रहे हैं। जबकि बरसाती पानी पर निर्भर किसानों के लिए यह वक्त चिंताजनक साबित हो रहा है। जिले में इस साल साढ़े 4 लाख एकड़ रकबे में धान की फसल लगाई गई है। लगभग दो लाख से ज्यादा किसानों ने इस सीजन में धान की खेती पर दांव लगाया है। किसानों के सामने मानसून के रूठने से आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया है। हालांकि बार-बार मौसम विभाग की ओर से जल्द बारिश होने का अनुमान लगाया जा रहा है, लेकिन मानसून अब तक वापस अपनी रंगत में नहीं लौटा है।