गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबंद, 13 अगस्त। गरियाबंद में सर्व आदिवासी समाज ने आक्रोश रैली निकालकर विश्व आदिवासी दिवस मनाया। इस दौरान समाज के लोगों ने पेसा कानून आरक्षक और मणिपुर में आदिवासियों पर हिंसा पर विरोध जताया और विश्व आदिवासी दिवस के दिन हजारो की संख्या में महिलाओं पुरुषों युवक युवतियों। बच्चों सहित पहुँच कर शान्ति पूर्ण विरोध जताते हुए हर्षोउल्लास के साथ मनाया विश्व आदिवासी दिवस।
विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर सर्व आदिवासी समाज मजरकटा स्थित भवन में अहम सभा कर जल जंगल जमीन, मणिपुर में आदिवासियों पर हिंसा, गरियाबन्द जिला को आदिवासी जिला धोषित करने जैसे मुद्दों पर चर्चा पश्चात समाज के नवयुवतियों, युवाओं महिला पुरुषों ने पारंपरिक लोक नृत्यों के साथ देव पूजन भी किया। वहीं गैर राजनीति विश्व आदिवासी दिवस को समाज के लोग उत्साह और उल्लास के साथ शांति पूर्ण मनाते हुए राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर प्रतिनिधि को ज्ञापन सौंपे।
पारंपरिक गीत-संगीत नृत्य सांस्कृतिक आयोजन के साथ अपनी रीति रिवाज के साथ देवपूजन कार्यक्रम करते हैं। लेकिन इस बार सर्व आदिवासी समाज राज्य सरकार की उपेक्षा और मणिपुर में आदिवासी महिलाओं के साथ हुए अत्याचार और हिंसा के विरोध में समाज के लोगों ने उत्सव के साथ नहीं बल्कि विरोध के तौर पर मनाया। समाज के हर वर्ग के लोगों ने मंजरकटा स्तिथ सर्व आदिवासी भवन से आक्रोश रैली निकाली। यह रैली शहर के प्रमुख मार्गों से होते रावनभाठा पहुँची जहाँ देवी देवताओं की विशेष पूजा कर पारम्परिक गीत संगीत नृत्य समाज के प्रमुख लोगो ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपे।
इस दौरान समाज के लोग एक तीर, एक कमान, सब अदिवासी एक समान, इसे लेकर ही चलना है, मणिपुर हिंसा और अपने अधिकारों को लेकर भी नारेबाजी करते रहे।
पारंपरिक लोक नृत्यों के साथ किया देव पूजन
आक्रोश रैली में समाज के लोग पारंपरिक वेशभूषा के साथ शामिल हुए। बैनर और तख्ती लिए लोग सरकार के खिलाफ नारे लगाते रहे। रैली नगर के मुख्य मार्ग होते हुए रावनभाठा पहुँची जहां उन्होंने पारंपरिक लोक नृत्यों के साथ देवपूजन किया। इस दौरान समाज के लोगों ने युवा पीढ़ी को अपनी परंपरा को जीवित रखने का संदेश भी दिया।