गरियाबंद

अगस्त सूखा बीता, बारिश की बूंदों के लिए तरसे किसान
02-Sep-2023 2:57 PM
अगस्त सूखा बीता, बारिश की बूंदों के लिए तरसे किसान

बची खुची फसल को बचाने कुएं से मोटर पंप के सहारे खींच रहे हैं पानी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबंद, 2 सितंबर। 
जिले के  आदिवासी विकासखण्ड मैनपुर देवभोग क्षेत्र में 46 वर्षों में पहली बार अगस्त का महीना सूखा बीता, क्षेत्र के लोग बारिश के बूंद-बूंद पानी के लिए तरस गये और तो और सावन के माह भी बीत गया, बारिश का इंतजार करते किसान थक हार चुके, किसानों की आस टूट चुकी, उपर से तापमान तेजी से बढ़ रहा है। 

अगस्त में इस घनघोर वनांचल क्षेत्र के लोगों को पहली बार एसी, कुलर, पंखा, का सहारा लेना पड़ रहा है, हालांकि प्रतिदिन दोपहर के बाद मौसम में परिवर्तन देखने को मिलता है आसमान में काली घटा भी छाती है, लेकिन बगैर बरसे बादल वापस चले जा रहा है, किसानों को उम्मीद था कि सावन के अंतिम सप्ताह में क्षेत्र में बारिश होगी लेकिन अब किसानों की उम्मीद टुट चुकी है। मैनपुर क्षेत्र में नहीं है सिंचाई का साधन दर्जनों सिंचाई परियोजना अधूरे पड़े हुए हैं। 

नदी नाले तालाब सुखे पड़े 
मैनपुर अमलीपदर, देवभोग क्षेत्र में तेजी से जलस्तर नीचे जा रहा है और तो और नदियों में पानी नहीं चल पा रहा है, कुआं ,तालाब सुखे पड़ें हुए हैं। क्षेत्र में सिंचाई का कोई साधन नहीं है, जिससे तालाबों को पानी भरा जा सके अभी भी तहसील मुख्यालय सहित विकासखण्ड के सैकड़ों तालाब सुखे पड़े हुए हैं। यदि इसी तरह का मौसम रहा तो आने वाले दिनों में मवेशियों के सामने पानी की भारी किल्लत होगी अभी भी गांवों के तालाबो में पानी होने के कारण निस्तारी की गंभीर समस्या बनी हुई है। 

खेत सूखे किसानों का उम्मीद टुटा, मैनपुर विकासखण्ड क्षेत्र में लगभग 30 हजार हेक्टेयर में किसान की खेती करते है, लेकिन यह पिछले 46 वर्षों में पहली बार देखने को मिल रहा है कि सावन के दो माह निकलने के बाद और अगस्त का पूरा माह बीत जाने के बावजूद अब तक क्षेत्र में धान की रोपाई और ब्यासी का कार्य नहीं हो पाया है। क्षेत्र में जो किसान धान की खेती किये है, उनके धान के फसल तेज धुप और खेत में दरारों के कारण खराब होने लगी है, धान की फसल मुरझा रही है, किसानों की आस टूटती नजर आ रही है। मैनपुर क्षेत्र में दर्जनों सिंचाई परियोजनाएं का निर्माण कार्य आज से चार दशक पहले चालू किया गया था, लेकिन अब तक इन सिंचाई परियोजनाएं अधूरे पड़े हुए हैं, यदि इन सिंचाई परियोजनाओं का आज निर्माण कार्य पूरा हो गया होता तो क्षेत्र के किसानों को यहां परेशानी नहीं उठानी पड़ती। 

लो वोल्टेज के चलते मोटर पम्प नहीं चल पा रहे है 

मैनपुर क्षेत्र के किसान पहले से सिंचाई सुविधा नहीं होने के कारण परेशान है। अब उपर से कुछ किसान जो कर्ज लेकर खेतो में टयुबवेल खनन किये है उससे अपने फसलों को बचाने के लिए दिनरात एक कर दिये है तो लगातार लो वोल्टेज के कारण मोटर पम्प नहीं चल पा रहा है और किसानों के फसल सूखता जा रहा है। 

मैनपुर, अमलीपदर, देवभोग क्षेत्र में नदी नाले तालाब कुआं अभी भी सूखे पड़े हुए हैं, लेकिन कुछ कुए और तालाबों में नाम मात्र पानी है। आसपास के किसान डीजल पंप के सहारे वहां से पानी खींचकर थोड़ी बहुत फसल को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इससे भी गांव में विवाद की स्थिति निर्मित हो रही है, क्योंकि अन्य ग्रामीण इससे मना कर रहे हैं। तालाब और कुएं में नाम मात्र का पानी बचा है, यदि उसे पानी को कुछ किसान सिंचाई में लगा देंगे तो आने वाले दिनों में मवेशियों के सामने पानी की भारी दिक्कत उत्पन्न हो जाएगी।

सबसे कम बारिश मैनपुर और देवभोग में दर्ज की गई 

कार्यालय भू अभिलेख शाखा गरियाबंद से मिली जानकारी के अनुसार 01 जून 2023 से 31 अगस्त 2023 तक सबसे कम वर्षो गरियाबंद जिले के मैनपुर और देवभोग में दर्ज किया गया है। मिली जानकारी के अनुसार आज 31 अगस्त 2023 की स्थिति में मि.मी के अनुसार मैनपुर में औसम वर्षो प्रतिशत 56.05 प्रतिशत अमलीपदर में 46.01 प्रतिशत, देवभोग में 52.04 प्रतिशत छुरा में 86.03 प्रतिशत,राजिम में 121.09 प्रतिशत गरियाबंद में 107.0 प्रतिशत दर्ज किये जाने की जानकारी मिली है।

क्षेत्र के वरिष्ठ बुजुर्ग किसान थानुराम पटेल ने बताया, आज से 45 46 वर्ष पहले ऐसे सूखा देखने को मिला था। पहली बार है जब मैनपुर क्षेत्र में सावन के महीने में पानी नहीं गिरा अभी भी नदी नाले तालाब कुआं सूखा पड़ा हुआ है। गरियाबंद जिला प्रशासन के साथ सरकार को चाहिए कि इस क्षेत्र के लोगों के लिए कुछ विशेष कार्य योजना बनाया जाए नहीं तो आने वाले दिनों में पीने की पानी के लिए लोगों को तरसना पड़ेगा। 

भाठीगढ़ के वरिष्ठ व बड़े किसान हेमसिंह नेगी ने बताया कि इस वर्ष मैनपुर क्षेत्र में 50 प्रतिशत धान की खेती खराब हो चुकी है, अब बारिश भी होती है तो इसका कोई लाभ नहीं मिलना है। उन्होंने आगे बताया कुछ किसान ट्यूबवेल से भी सिंचाई करना चाहते हैं तो लो वोल्टेज के कारण नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने आगे बताया क्षेत्र में किसानों के सामने विकट स्थिति उत्पन्न हो गई है। शासन प्रशासन द्वारा ध्यान दिया जाना बहुत जरूरी है। 

वरिष्ठ कृषि अधिकारी भावेश शांडिल ने बताया कि मैनपुर अमलीपदर क्षेत्र में जहां सिंचाई की सुविधा नहीं है, वहां खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई है। धान के फसल पीले पड़ चुके हैं। कृषि अधिकारी ने बताया टिकरा, भार्री वाले क्षेत्र में धान की फसल 50 से 60 प्रतिशत प्रभावित हो चुकी है।

मैनपुर एसडीएम हितेश पिस्दा ने चर्चा में बताया कि मैनपुर अमलीपदर क्षेत्र में बहुत कम बारिश दर्ज किया गया है, और यहां की वस्तु स्थिति से रिपोर्ट बनाकर शासन स्तर पर भेजा जा चुका है। एक सप्ताह बाद और जानकारी भेजी जाएगी।
 

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