बेमेतरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 19 अक्टूबर। जिले के बाद दीगर प्रदेशों में पलायन कर जाने वाले हजारों मजदूरों को विधानसभा चुनाव के लिए आगामी 17 नंवबर को होने वाले मतदान के लिए वापस आने के लिए प्रेरित करने के लिए अभी तक जिले के जनपद पंचायतों में ग्राम पंचायत स्तर का आंकड़ा तक नहीं जुटाया गया है। जिले में कारोना काल के दौरान दीगर प्रदेशों में काम करने गए मजदूरों में वापस लौटने वालों की संख्या हजारों मेें थी।
पलायन कर गए मजदूरों के नहीं आने की स्थिति में शत-प्रतिशत मतदान का लक्ष्य प्रभावित हो सकता है। जानकारी हो कि जिले के चारों विकासखंडों में 30 राजस्व मंडल, 205 पटवारी हल्का व 708 गांव हैं, जिसमें 6 विरान गांव शेष 702 ग्राम आबादी वाले गांव हैं। जिले के ग्राम पंचायतों की आबादी वाले गांवों में से आधे से अधिक गांवों के हजारों रहवासी पलायान कर गए हैं। अनुमानित तौर पर एक गांव 30 से 40 व्यक्ति पलायान कर कमाने के लिए दीगर प्रदेश जाते हैं। जिले के गांव से 20 से 30 हजार ग्रामाीण पलायान कर गए हैं, जिसमें जिले के वोटर भी शामिल हैं। जिले के 658593 मतदाताओं की संख्या को देखते हुए इतने मतदाताओं के प्रदेश से बाहर होने के कारण मतदान प्रतिशत कम होने की संभावना है। पलायान कर जाने वाले में शहरी मतदाताओं की अपेक्षा ग्रामीण मतदाताओं की संख्या अधिक है।
ग्रामीण मतदान केन्द्रों की संख्या 799, शहर से 10 गुना अधिक
जिले में 867 मतदान केन्द्र हैं, जिसमें से केवल 68 मतदान केन्द्र शहरी क्षेत्र में हैं। जिले के बेमेतरा विधानसभा में 28, साजा के निकाय में 26, नवागढ़ विधानसभा के शहरी क्षेत्र में 14 मतदान केन्द्र हैं। वही ग्रामीण क्षेत्र के मतदान केन्द्र की बात की जाए तो साजा विधानसभा के गांव में 276 मतदान केन्द्र, बेमेतरा के गांव में 239 मतदान केन्द्र एवं नवागढ विधानसभा के गांव में 284 मतदान केन्द्र हैं। जिले के गांव मेें शहरी मतदान केन्द्रों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्र के मतदान केन्द्र की संख्या दस गुना से अधिक है।
पंचायतों में पलायन पंजी को कोई नहीं देखता
जिले के चारों जनपद पंचायत सीईओ ग्राम पंचायत स्तर पर सचिवालय में रखे जाने वाले पलायान पंजी को संधारित करने समय-समय पर निर्देश जारी करते हैं। जिला प्रशासन के कड़े निर्देश के बाद भी जिले के पंचायतों में पंजी संधारण की स्थिति साफ नहीं है। पत्रिका द्वारा नवागढ़ सीईओ से पंचायत में रखे जाने वाले पलायन पंजी की जानकारी व जनपद क्षेत्र में पलायन कर जाने वालों का ब्यौरा मांगे जाने पर पंचायतों से पता करने या फिर पीओ से जानकारी लेने की बात कही गई। ‘छत्तीसगढ़’ ने अन्य जनपद पंचायतों मेें भी पलायन पंजी की जानकारी लेने का प्रयास किया गया पर कार्यरतों ने पलायन पंजी संधारित करने की जानकारी नहीं होने की बात कही। जिला मुख्यालय के आसपास के पंचायतों से जानकारी जुटाने पर औसतन 40 से 50 व्यक्तियों के गांव से बाहर पलायन करने की जानकारी सामने आई। बहरहाल जिस तरह से जिले में दिव्यांग व बुजुर्ग मतदाताओं को प्रेरित कर मतदान प्रतिशत बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। उसी तरह हजारों की संख्या में दीगर प्रदेश गए मतदाताओं को भी मतदान तिथि तक आने के लिए अभियान चलाये जाने की दरकार है।
जिले के मजदूर जाते हैं यूपी और पश्चिम बंगाल
जिले से बाहर कमाने के लिए जाने वाले मजदूरों की संख्या को लेकर जिम्मेदार विभाग कुछ बता पाने की स्थिति में नजर नहीं आ रहा है। जिलेे के ग्रामीण क्षेत्रों के ज्यादातर मजदूर पुणे और दिल्ली की ओर रूख करते हैं। मजदूरों को बाहर में काम दिलाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में बकायदा दलाल सक्रिय हैं, जो बेमेतरा जिला मुख्यालय से चलने वाली बसों से मजदूरो को पुणे, लखनऊ व अन्य बड़े शहरी क्षेत्र भेजने के लिए सक्रिय हैं। जिले में इन तीनों महानगर के आलावा महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, पंजाब, पश्चिम बंगाल, गोवा, राजस्थान, बिहार, हिमांचल प्रदेश और दिल्ली में जाकर काम करते हैं।