बेमेतरा

मां भद्रकाली का मंदिर देशभर के 108 शक्तिपीठों में से एक, यहां उमड़ पड़ा है आस्था व भक्ति का सैलाब
21-Oct-2023 2:27 PM
मां भद्रकाली का मंदिर देशभर के 108 शक्तिपीठों में  से एक, यहां उमड़ पड़ा है आस्था व भक्ति का सैलाब

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बेमेतरा, 21 अक्टूबर। शारदीय नवरात्रि में जिले के शहरी और ग्रामीण अंचल में माता के मंदिर में हजारों मनोकामना जोत प्रज्ज्वलित हो रही हैं, जिसके दर्शन के लिए रोजाना मंदिरों में सुबह से लेकर रात तक भीड़ लग रही है। जिला मुख्यालय मे विराजित माता भद्रकाली, शीतला मैया, सिद्धि माता, बोर्रा माता मंदिर, सकलसिद्धि दात्री देउर गांव, सिद्ध शक्तिपीठ मां चंडी धाम करमू सिद्ध शक्तिपीठ, मां महामाया मंदिर बुचीपुर में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है।

गुरुवार को पंचमी पर माता का विशेष श्रृंगार किया गया। मंदिरों व पंडालों में विराजित देवी दर्शन के लिए शहर के आलावा आसपास के गावों से भी लोग पहुंचे। आसपास श्रृंगार सामग्री व पूजा सामग्री बेचने वालों की दुकानें लगी हुई हैं। अंचल केआलावा दीगर प्रदेशों से भी लोग अंचल में दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। बेमेतरा में स्थित सिद्ध शक्तिपीठ माता भद्रकाली का मंदिर देश के 108 शक्तिपीठों में से एक है।

मालगुजार में बनवाया था भैरव मंदिर

बेमेतरा के मालगुजार जरबसिंह के पूर्वजों ने इस स्थान पर भैरव मंदिर बनाया था। बाद में श्रद्धालुओं ने यहां बजरंगबली की मूर्ति स्थापित कर दी। भूमि संरक्षण अधिकारी के रुप में यहां पदस्थ लेखराम शर्मा ने स्थानीय निवासियों के सहयोग से यहां सन 1967 में माता भद्रकाली मंदिर की स्थापना की। धीरे-धीरे मां की महिमा चारों ओर फैलती गई। वर्तमान में नवरात्र पर्व पर आस्था और विश्वास का जन सैलाब माता के दर्शन को उमड़ पड़ता है। आज यह मंदिर भव्य आकर्षक स्वरुप को प्राप्त कर चुका है। मंदिर परिसर में 8 फीट ऊंची भगवान शिव की मूर्ति स्थापित है।

फागुन पूर्णिमा तक तीन दिनों तक लगता है मेला

जय सिद्धि माता मंदिर दुर्ग मुख्य मार्ग पर बेमेतरा से 6 किमी की दूरी पर 1965 से स्थापित है। यहां फागुन तेरस से पूर्णिमा तक 3 दिनों का मेला लगता है। मंदिर में शंकर, हनुमान व करमा माता के मंदिर आसपास स्थित हैं। मंदिर में विराजित माता को हिंगलाज माता मानते हैं। सबकी कामना सिद्ध होने के कारण लोगों ने इसे सिद्धिमाता कहना शुरू किया। शारदीय नवरात्रि में 8 हजार से अधिक मनेाकामना जोत भक्तों ने प्रज्ज्वलित कराए हैं।

मां महामाया की तीन सगी बहनें विराजित

बोर्रा माता मंदिर ग्राम पेण्ड्रीतराई की सरहद पर स्थित है। ये मंदिर अपने चमत्कारिक प्रभाव के कारण अंचल में प्रसिद्ध है। प्राचीन समय पर यह स्थल दुर्गम एवं वनाच्छादित था, जहां मालगुजार राजेन्द्र पुरी गोस्वामी ने बोर्रा माता की स्थापना की। सकल सिद्धि दात्री देउर गांव की मां महामाया साजा तहसील मुख्यालय से 12 किमी की दूरी पर स्थित देउरगांव सुरही नदी की तट पर बसा है।

 यह गांव देवी के गांव के नाम से प्रसिद्ध है। इस गांव में मां महामाया सिद्ध शक्तिपीठ स्थित है। अंचल में मां महामाया की तीन सगी बहनें विराजित हैं। उनमें बड़ी बहन राजा मोहगांव में, छोटी बहन मोहतरा एवं मंझली बहन देउरगांव में प्रतिष्ठित है। देउरगांव की मां महामाया सर्वसिद्धि दात्री के रूप में केवल इस अंचल में ही नहीं वरन दूर-दूर तक ख्याति प्राप्त है। यह मंदिर 1936-37 में स्थापित किया गया।

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