बेमेतरा

गांवों में रामलीला की परंपरा को जीवित रखा मंडलियों ने
25-Oct-2023 2:57 PM
गांवों में रामलीला की परंपरा को जीवित रखा मंडलियों ने

 लेंजवारा में 108 बरस से रामलीला का मंचन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बेमेतरा, 25 अक्टूबर। जिले में कई रामलीला मंडलियां रामलीला का मंचन कर पुरातन पंरपरा को निभा रही हैं। जिले के ग्राम अर्जुनी, कुसमी, लेंजवारा, मटका, कठिया, बावामोहतरा, बैजलपुर, धिवरी, सरादा, डंगनिया, पाहदर, देवरबीजा, नवापारा, आंदु, भिलौरी, कुसमी व बेरला में अलग-अलग अवधि में रामलीला का मंचन किया जाता है। ग्राम तिवरैया में रामलीला प्रतियोगिता का आयोजन करने की पंरपरा को कायम रखा गया है। टीवी और मोबाइल के दौर में पंरपराओं को बचाने के लिए जिले के गांवों में आज भी लोग सकिय हैं। गांव में रामलीला मंचन के लिए माह भर तैयारी करने के बाद नवरात्रि व दशहरा से रामलीला का मंचन करते हैं।

गांव में चौथी पीढ़ी भी रामलीला में शामिल

बेरला के ग्राम लेंजवारा में वर्षों से तालाब के बीच में रावण दहन किया जा रहा है। इससे पूर्व 108 साल से गांव में रामलीला का मंचन किया जा रहा है। कलाकार प्रकाश साहू ने बताया कि वो दस साल के उम्र से मंचन कर रहा है। पहले वानर बनता था। आज कई तरह की भूमिका निभाता है। गांव में उनकी चौथी पीढ़ी आज भी रामलीला में सेवा दे रही है। गांव के डॉ. चुरावन, दिनेश साहू, भोजाराम, मोहित गर्ग समेत 32 कलाकर सेवा दे रहे हैं।

पैसा कमाने नहीं परंपरा को जीवित रखने कर रहे मंचन

रामलीला के कलाकारों ने बताया कि हम आर्थिक उद्देश्यों के चलते नहीं परंपरा को निभाने के लिए मंचन करते हैं। आने वाली पीढ़ी को भी प्रेरित करेंगे। ग्राम धिवरी में दशकों से रामलीला का मंचन किया जा रहा है। दीपक कुमार ने बताया कि वो बचपन से रामलीला देखते आ रहे हैं। बेमेतरा में रहते हैं पर रामलीला देखने के लिए गांव में रूके हुए हैं। ग्राम बहेरा के महेतर वर्मा व मिथलेश वर्मा ने बताया कि उनके गांव में दशहरा के दिन राम लीला का मंचन किया जाता है। कई साल से एक दिन कर मंचन करते हैं पर इसके लिए तैयारी पहले से करते हैं।

जितेंद्र शर्मा 38 साल से रामलीला में निभा रहे हैं भगवान राम की भूमिका 

इस आधुनिक युग में मंडलियों ने गांवों की परंपरा को जीवित रखा है। पिछले 38 सालों से राम का किरदार जितेंद्र शर्मा निभा रहे हैं। साथ ही उनके पुत्र अनंत शर्मा भी राम के किरदार का बचपन निभाते हैं। रावण का किरदार राजू देवांगन, मेघनाथ छत्रकुमार देवांगन, लक्ष्मण इंद्रदेव सिन्हा, कुंभकर्ण फत्ते साहू, विभीषण अश्वनी साहू, परसराम चन्द्रकुमार देवांगन, सुलोचना धनजंय साहू, भरत भानु साहू, जोकर का किरदार संजय तिवारी व फेरहा साहू, मनहरण साहू, मनहरण वर्मा, लाल जी साहू, राजेन्द्र साहू निभाते हैं। व्यास का काम परस साहू, तबलावादक भागीरथी सिन्हा, आजू साहू संगीत पक्ष में रहते हैं।

गांवों से देखने पहुंचते हैं लोग

आदर्श रामलीला मंडली की रामलीला का मंचन को देखने के लिए गांव के साथ आसपास के लोग आते हैं। आसपास के गांवों में रामलीला का मंचन नहीं किया जाता लेकिन कुसमी की मंडली आज भी सेवा दे रही है। प्रतिवर्ष दशहरा के पूर्व रामलीला का प्रदर्शन गांव के बड़े बुजुर्ग भी करते हैं। युवा भी इस काम में लगे हुए हैं। रामलीला में लोगों की रूचि बनी हुई है। आज भी गांव में रामलीला होना कौतूहल का विषय बन जाता है। गांवों में खासतौर पर इसे जीवित रखने में इन मंडलियों ने काफी काम किया है।

कुछ पात्र गांव के हैं, जो रायपुर में काम करते हैं

रामलीला मंडली में किरदार निभाने वाले कुछ पात्र गांव के हैं, जो रायपुर में काम करते हैं पर प्रतिवर्ष गांव की परंपरा को बनाए रखने के लिए छुट्टी लेकर आते हैं। इसमें गांव के उपसरपंच से लेकर किसान, व्यापारी, वेल्डर सभी शामिल हैं। दशहरा के दिन रावण भाठा में रावण वध की लीला का मंचन किया जाता है, जिसे देखने हजारों लोग आते हैं। फिर रावण दहन किया जाता है।

कुसमी की रामलीला में जन्मांध आकाश हारमोनियम बजाते हैं

शहर से 8 किलोमीटर दूर ग्राम कुसमी में 58 साल से राम लीला का मंचन किया जा रहा है। आदर्श रामलीला मंडली में हरमोनियम बजाने वाले आकाश साहू हारमोनियम तो बजाते हैं पर जन्म से देख नहीं पाते।  इसके बावजूद बहुत ही अच्छे से वे लीला में अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। 25 सदस्यों की लीला समिति भाग लेती है। सबसे ज्यादा समस्या स्त्री की भूमिका अदा करने में आती है पर मंडली के लोग इस समस्या को हल करने अपने बेटियों को लेकर आते हैं। ज्योति साहू, चंचल वर्मा, योगिता, संगीता, मानसी, रिया व प्राची सिन्हा किरदार निभाती हैं।

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