रायगढ़

दो बागियों ने पार्टी नेताओं के लिए खड़ी की मुसीबत
04-Nov-2023 7:36 PM
दो बागियों ने पार्टी नेताओं के लिए खड़ी की मुसीबत

 तोड़ नहीं ढूंढा गया तो हार जीत का बदल सकता है समीकरण 
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 4 नवंबर।
रायगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा की सीधी टक्कर अब आसान नहीं है चूंकि दोनों ही पार्टियों की तरफ से बागी प्रत्याशी मैदान में उतरने की ताल ठोक चुके हैं पहले यह कहा जा रहा था कि नाम वापसी के अंतिम दिन कांग्रेस के बागी प्रत्याशी शंकरलाल अग्रवाल व भाजपा की बागी प्रत्याशी गोपिका गुप्ता अपने-अपने नाम वापस ले लेंगे, लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की समझाईश के बाद भी न तो भाजपा की गोपिका गुप्ता इस मामले में गंभीर नजर आई और न शंकरलाल अग्रवाल पीछे हटे अब दोनों बागी प्रत्याशी रायगढ़ विधानसभा चुनाव में अपने-अपने नेताओं की परेशानी बढ़ाएंगे।

कांग्रेस के प्रत्याशी प्रकाश नायक के खिलाफ उनके ही पार्टी के जिला कोषाध्यक्ष शंकरलाल अग्रवाल निर्दलीय आटो छाप में चुनाव लड़ रहे हैं तो वहीं भाजपा की बागी प्रत्याशी व जिला पंचायत सदस्य गोपिका गुप्ता सिलाई मशीन छाप पर चुनाव मैदान में हैं। इन दोनों प्रत्याशियों ने कहा कि वे रायगढ़ के विकास के लिये चुनावी मैदान में है। 

भाजपा की बागी प्रत्याशी गोपिका का कहना है कि पार्टी ने उनकी दावेदारी को दरकिनार करते हुए खरसिया के ओपी चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा है उससे वह संतुष्ट नहीं है, चूंकि भाजपा में वह बरसों से काम करते हुए जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक कार्य करते हुए पार्टी में अनुशासन के साथ जुड़ी रही, लेकिन ओपी चौधरी को टिकट दे दिया गया और वे निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं वहीं कांगे्रस के बागी प्रत्याशी व जिला कांगे्रस के कोषाध्यक्ष शंकरलाल अग्रवाल कहते हैं कि वे खुद का घोषणा पत्र लेकर चुनावी मैदान में है। साथ ही साथ वो बरसों से कांगे्रस में रहकर सेवा करते आये हैं और उसका लाभ उन्हें मिलेगा। साथ ही साथ वे कहते हैं कि रायगढ़ में बेरोजगारों के लिये एक बड़ा एजेंडा लेकर वे जनता के बीच जाएंगे।

अपनी ही पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे कार्यकर्ता को समझाने के बाद भी अपना नाम वापस नहीं लेने पर पार्टी सीधी कार्रवाई का मूड बना रही है। इस संबंध में जिला कांगे्रस कमेटी के अध्यक्ष का कहना है कि पार्टी द्वारा घोषित प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरने वाले प्रत्याशी या उनके खिलाफ काम करने वाले कार्यकर्ताओं के विरूद्ध निष्कासन की तैयारी की गई है और पार्टी उन्हें 6 साल के लिये निष्कासित करके बाहर का रास्ता दिखायेगी।

बहरहाल देखना यह है कि रायगढ़ विधानसभा चुनाव में दोनों ही पार्टियों के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ उनके ही सक्रिय कार्यकर्ताओं ने बगावत का बिगुल फूंकते हुए चुनाव मैदान में उतरकर नई परेशानी खड़ी कर दी है और उसको लेकर दोनों ही पार्टियां इसका तोड़ ढूंढने में लग गई है। चूंकि अगर बागी प्रत्याशियों का तोड़ नहीं ढूंढा गया तो हार जीत का नतीजा कुछ भी हो सकता है। 

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