बेमेतरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 29 नवंबर। मानवीय शिक्षा अभ्युदय संस्थान अछोटी, दुर्ग एवं समाधान महाविद्यालय बेमेतरा के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय कार्यशाला ‘वर्तमान शिक्षा में मानवीय मूल्यों का समावेश’ विषय पर अछोटी में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सोमदेव त्यागी प्रबोधक अभ्युदय संस्थान अछोटी ने मानसिकता में बदलाव की बात करते हुए बताया कि मानव अपनी बुद्धि से सार्वभौमिक समझ का आनंद, चित्त की सही इच्छा से संतोष, वृत्ति से शांति तथा मन से सुख प्राप्ति के प्राकृतिक क्रम अपनाकर जीवन को सार्थक बना सकता हैं, लेकिन वर्तमान समय में मानव अपने आप को केवल शरीर मानते हुए पांचों इंद्रियों से अच्छे लगने वाले अस्थायी सुख तथा रूप, धन, पद व बल से अपनी पहचान जोडक़र निरंतर सुख की चाहत कर रहा हैं। प्रत्येक शिक्षा संस्थान प्रमुख, शिक्षक व सभी सदस्यगण इस ज्ञान को समझे व अपने आचरण में लाये तभी हर विद्यालय व महाविद्यालय में इसकी मजबूत नीव स्थापित होगी तथा विद्यार्थियों के लिए बीस साल की शिक्षा व्यवस्था के पाठ्यक्रम में मध्यस्थ दर्शन पर आधारित चेतना विकास मूल्य शिक्षा को अध्ययन कराया जा सकता है।
अगले वक्ता के रूप में सुरेंद्र पाल ने बताया कि इतिहास में मानव ने जिंदा रहना, कृषि करना, धर्म में रहना, तकनीकी विकास करना सीख लिया, लेकिन जीवन जीने का आनंद लेना नहीं सीखा। अब समय आ चुका हैं कि मानव अपनी इस स्वाभाविक उपयोगिता को पहचान कर आत्मसात करें। समाधान महाविद्यालय के डायरेक्टर डॉ.अवधेश पटेल ने मध्यस्थ दर्शन के संदर्भ में अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि इस दर्शन से मुझे स्वयं में समाधान, परिवार में समृद्धि, समाज में अभयता व प्रकृति के साथ तालमेल में रहने की समझ की सुचना प्राप्त हुई। यदि इस दर्शन को हम अपने आचरण में ला पाते हैं तो हमें सुख की प्राप्ति अवश्य होगी।
समाधान महाविद्यालय द्वारा सप्ताह में पांच दिन सभी संकायों में एक क्लास चेतना विकास मूल्य शिक्षा के रूप में तथा 48 घंटे का चेतना विकास मूल्य शिक्षा का शिविर वैल्यू एडेड प्रोग्राम के तहत करवाया जाता है। हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के कुलसचिव भूपेंद्र कुलदीप ने समाधान महाविद्यालय की प्रशंसा करते हुए कहा कि यहां के विद्यार्थी एवं प्राध्यापक मध्यस्थ दर्शन से काफी लाभान्वित हुए हैं, उनके कार्य व्यवहार में मूल्य शिक्षा के भाव अभिलक्षित होते हैं। स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय भिलाई के कुलपति डॉक्टर एम.के. वर्मा ने कहा कि मैं अपने आप को खुशनसीब मान रहा हूं कि मुझे इस दर्शन को जानने व समझने का अवसर प्राप्त हुआ। मुझे इस कार्यशाला में सबसे अधिक अच्छी बात यह लगी कि शरीर और मैं दो अलग-अलग चीजें हैं इसे साफतौर पर स्पष्ट किया गया हैं। अगर हम वास्तव में इसे जान पाते हैं तो जीवन का हर लक्ष्य में स्थायित्व आएगा।
एन.आई. टी. रायपुर के प्रोफेसर समीर बाजपेयी ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि हमारे महाविद्यालय में एक विषय मूल्य शिक्षा के रूप में मध्यस्थ दर्शन पर आधारित करवाए गए हैं जो कि प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों द्वारा अनिवार्य रूप से अध्ययन करवाया जाता हैं। इस दर्शन के जुड़ाव में रहने से जीवन में सुख व आनंद हमेशा विद्यमान रहते हैं।
कार्यशाला के समापन में समाधान महाविद्यालय के डायरेक्टर अविनाश तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सभी के प्रति अपना आभार व्यक्त किये, इस कार्यशाला को मानवीय शिक्षा के लिए अभूतपूर्व कहा एवं कुलपति एमके वर्मा, प्रबोधक सोमदेव त्यागी के साथ सामूहिक रूप से प्रमाण पत्रों का वितरण किये।
कार्यशाला में दिशा महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.एके तिवारी, पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय के उप कुलसचिव सनत कुमार वर्मा, मानवीय शिक्षा शोध संस्थान अछोटी के शिक्षाविद् डॉ.संकेत ठाकुर व अन्य सदस्य,समाधान महाविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी उमेश सिंह राजपूत व सहायक प्राध्यापक, दिशा महाविद्यालय रायपुर के सहायक प्राध्यापक, कांगेर वैली एकडेमी की डायरेक्टर राखी जैन उपस्थित थे।