बलौदा बाजार

पूर्ण शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए मानवाधिकार आवश्यक-डॉ. जेम्स
10-Dec-2023 9:02 PM
पूर्ण शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए मानवाधिकार आवश्यक-डॉ. जेम्स

डी के कॉलेज में मना विश्व मानवाधिकार दिवस

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बलौदाबाजार, 10 दिसंबर। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के उपलक्ष्य में शासकीय दाऊ कल्याण कला, विधि,विज्ञान एवं वाणिज्य स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय बलौदाबाजार में विधि विभाग द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमे मुख्य वक्ता विधिक सलाहकार प्रमुख वरिष्ठ अधिवक्ता भूपेंद्र ठाकुर व महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ ए आर सी जेम्स की गरिमामयी उपस्थिती रही।

 पूर्व प्राचार्य डॉ ए के उपाध्याय ने उपस्थित समस्त अतिथियों महाविद्यालयीन प्राध्यापकों व विद्यार्थियों का स्वागत करते हुए मानवाधिकार के महत्व के बारे में बताया। प्रमुख वक्ता विधिक सलाहकार प्रमुख  दीपा सोनी ने कहा कि मानव अधिकार का मतलब उन सभी अधिकारों से है जो मनुष्य की जीवन, स्वतंत्रता एवं समानता से संबद्ध है। ये वो मूलभूत सार्वभौमिक अधिकार हैं जिन्हें किसी भी धर्म, रंग नस्ल, जाति, प्रांत, राष्ट्रीयता या लिंग के आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता। इनमें आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक पक्ष शामिल है। चूंकि ये मनुष्य के अस्तित्व से संबंधित है इसीलिए ये अधिकार उसे जन्म के साथ ही प्राप्त है और इसमें कोई बाधा नहीं डाल सकता। लेकिन जब हम अपने जीवनयापन या अभिव्यक्ति के अधिकार की बात करते हैं तो ये याद रखने की जरुरत है कि इसमें किसी दूसरे व्यक्ति के अधिकारों का हनन न हो रहा हो । मानवाधिकारों में मनुष्य के कल्याण और गरिमा का भाव निहित है और आज का दिन इस मायने में बहुत अहम है।

वरिष्ठ अधिवक्ता भूपेंद्र ठाकुर ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मानव अधिकार दिवस के उद्देश्य पर प्रमुखता से अपनी बात रखी। ठाकुर ने सर्वे भवंतु सुखिना: सर्वे संतु निरामया का श्लोक कहते हुए मानवाधिकार के महत्ता से छात्र -छात्राओं को अवगत कराया तथा विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकार के उल्लंघन के उदाहरण बताते हुए विद्यार्थियों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बने रहने के लिए प्रेरित किया।

प्राचार्य डॉ. जेम्स ने मानव अधिकारों की अवधारणा को व्यक्तित्व विकास के लिए जरुरी बताते हुए कहा कि किसी भी मानव के पूर्ण शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए मानवाधिकार आवश्यक हैं। इन अधिकारों का उद्भव मानव की अंतर्निहित गरिमा से हुआ है। इन अधिकारों के बिना न तो व्यक्ति अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकता है और न ही समाज के लिए उपयोगी कार्य कर सकता है। कार्यक्रम के अंत में विधि विभागाध्यक्ष डॉ नबी खान ने अतिथियों को अपना अमूल्य समय निकालकर मार्गदर्शन प्रदान कर कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु आभार व्यक्त किया व आगामी सेमेस्टर परीक्षा के लिए विद्यार्थियों को शुभकामनायें दी।

 इस अवसर पर विधि के छात्रों द्वारा रंगोली गुब्बारे,स्लोगन इत्यादि द्वारा विशेष तरह की सजावट किया गया था। कार्यक्रम का संचालक प्राध्यापक आलोक दुबे ने किया तथा अतिथिगण को प्रतिक चिन्ह से सम्मानित किया गया। उक्त कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राचार्य ए आर सी जेम्स, विधिक सलाहकार प्रमुख दीपा सोनी वरिष्ठ अधिवक्ता भूपेंद्र ठाकुर डॉ ए के उपाध्याय प्रोफेसर डॉ सी के चंद्रवंशी विभागाध्यक्ष डॉ. नबी खान जयंत मिंज, अभिषेक बंजारे,आलोक दुबे, हरजीत सिंह चावला सहित विधि के विद्यार्थिगण उपस्थित रहे।

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