रायपुर

पहली केबिनेट से कर्मचारियों एवं पेंशनरों को निराशा
15-Dec-2023 7:13 PM
पहली केबिनेट से कर्मचारियों एवं पेंशनरों को निराशा

छत्तीसगढ़ अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन के सदस्य संगठनों के प्रदेश अध्यक्ष, और पदाधिकारियों ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से पहुना में मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कर्मचारी संगठनों की मांगों पर राज्य शासन में लंबित निर्णय को लेकर चर्चा की। इनमें चुनाव आयोग की अनुमति के बाद भी डीए आदेश जारी न करने प्रमुख रहा। इस मुलाकात में फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा, अनिल शुक्ला, मंत्रालय संघ के महेन्द्र प्रताप राजपूत, तृतीय वर्ग के चंद्रशेखर तिवारी, इंद्रावती भवन संचानालय संघ के अध्यक्ष शामिल रहे।

फेडरेशन के पदाधिकारियों की सीएम साय से मुलाकात, याद दिलाई अपनी लंबित मांगे

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 15 दिसंबर। भाजपा सरकार के नवनिर्वाचित  मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की आज पहली केबिनेट बैठक हो गई। इसमें जुलाई 23 से 4त्नप्रतिशत लम्बित डीए डीआर पर निर्णय नहीं होने से प्रदेश के कर्मचारियों एवम पेंशनरों को निराशा हुई है, क्योंकि निर्वाचन आयोग से मंजूरी मिलने,वित्त विभाग से फाइल क्लियर होने के बावजूद केवल  मुख्यमंत्री से नस्ती में स्वीकृति मिलते ही महंगाई भत्ता मिल जाता।लेकिन सन्देह है कि मुख्यसचिव  ने राज्य की वित्तीय स्थिति का ऐसा प्रस्तुतिकरण किया होगा कि सब कुछ धरा का धरा रह गया,पता नही कर्मचारियों और पेंशनरों के दिन कब बहुरेंगे। भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने कहा कि नये मुख्यमंत्री कह रहे हैं  मोदी जी गारंटी है सभी वायदे पांच साल में पूरे किए जाएंगे। यही भाषा 5 साल में वादा पूरी करने की बात पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी कहते हुए पूरा 5 साल निकाल दिए। इसी कारण चुनाव भी हार गए।

जारी विज्ञप्ति में  कार्यकारी प्रांताध्यक्ष जे पी मिश्रा, प्रदेश महामंत्री अनिल गोल्हानी, लोचन पाण्डे,बी एल यादव, नरसिंग राम, बी एस दसमेर,आर जी बोहरे आदि ने संयुक्त विज्ञप्ति में विधान सभा चुनाव के घोषणा पत्र में दिए गए वादा पूरा करे और केन्द्र सरकार द्वारा घोषित डीए डीआर की बकाया किस्त देने मामले को स्वयं संज्ञान में लेकर मुख्य सचिव से जवाब तलब करे कि आचार संहिता के दौरान निर्वाचन आयोग से कर्मचारियों व पेंशनरों को डीए डीआर देने के अनुमति के बाद भी उनके लिए आदेश पारित क्यों नही किया गया और बिना अनुमति आईएएस - आईपीएस केडर ने अपने आदेश कैसे जारी कर लिए,इस पर  पूछताछ जरूर होनी चाहिए।

 

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