रायपुर
जंगल विहीन रायपुर मंडल में 750 दैवेभो भी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 दिसंबर। सरकार बदलते ही पिछली सरकार के विभागों में खजाने के दुरूपयोग की पोल खुलने लगी है। विभागों के अफसर मंत्रियों को विश्वास में लेकर या उनके कहे अनुसार सरकारी धन के लिए कई तरह की अघोषित योजनाएं और काम करते रहे हैं। बस यही लाभ था कि बिना मतलब के कुछ बेरोजगार युवकों को महीना 9-10 हजार रूपए मिल जाते रहे। इसमें यह भी शंका जताई जा रही है कि कम लोगों को काम में लेकर अधिक का पे- बिल बनाकर राशि खजाने से निकाली जाती रही होगी।
हमें वन विभाग में होते रहे ऐसे ही फर्जीवाड़े की जानकारी मिली है। सूत्रों ने बताया कि वन विभाग ने तो अब तक सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले। जंगल विहीन अकेले रायपुर वन मंडल में बैक डोर से 750 दैनिक वेतन भोगी की भर्ती कर दी गई।
इसमे रायपुर के वन अधिकारियों खुल कर साथ दिया। चौकीदार, ड्रायवर, बाबू, कंप्यूटर ऑपरेटर केपद पर काम दिलाया ।।हद तो यह भी रही कि मुस्लिम कब्रिस्तान में पौधरोपण और देख रेख के लिए वन विभाग ने चौकीदार भी नियुक्त किये । तो कुछ आईएएस, आ एफ एस अफसरों के यहां डॉग केयर टेकर, चिल्ड्रेन केयर टेकर, घरेलू नौकर भी रखे गए । एक तरह से वन विभाग रोजगार कार्यलय बना हुआ था ।इनमे से अधिकांश दैनिक वेतन भोगी कांग्रेस कार्यकर्ताओं , नेताओं के भाई-भतीजे बच्चे शामिल थे ।इनसे विभाग को हर माह करोडो की राशि फिजूल मे खर्च करना पड़ा।
प्रति माह अनुमानित राशि 7 करोड़ अकेले रायपुर वनमडल को वहन करना पड़ता।जबकि वृक्षरोपण के लिये सरकार के पास बजट नहीं है अपने आप मे सवालिया निशान उठाता है।
शहर को हरा भरा बनने के बदले वन विभाग दैनिक वेतन कर्मचारियों मे उलझा हुआ है। यह पोल खोलने वाले विभागीय नियमित कर्मचारी नई सरकार को इस विषय पर सम्पूर्ण जाँच कर दोषी अधिकारियो के खिलाफ कार्यवाही की उम्मीद कर रहे हैं।