राजनांदगांव
उपनिर्वाचन अधिकारी वर्मा को नेताओं के बीच बैठने होना पड़ा मजबूर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 17 दिसंबर। केंद्र सरकार की विकसित भारत कार्यक्रम को लेकर कलेक्टोरेट में आयोजित बैठक में भाजपाईयों के कब्जे को लेकर कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर कड़ी आपत्ति जाहिर की।
आलम यह रहा कि जिले के अफसरों के लिए आरक्षित कुर्सियों में भाजपा नेताओं ने कब्जा कर लिया। इस अव्यवस्था के कारण प्रशासनिक अफसरों को कार्यक्रम के दौरान व्यवहारिक परेशानियां हुई। जिला उपनिर्वाचन अधिकारी खेमलाल वर्मा को भाजपा नेताओं के बीच कुर्सी में बैठने मजबूर होना पड़ा।
कांग्रेसियों ने बैठक की तस्वीर को दिनभर सोशल मीडिया में वायरल किया। तस्वीर में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि आलाधिकारियों को भाजपा नेताओं के साथ बैठने में असहज स्थिति का सामना करना पड़ा। वैसे सरकारी कार्यक्रम में चुनिंदा सत्तारूढ़ दल के नेताओं को आमंत्रित किया गया था, लेकिन सरकार बनते ही कलेक्टोरेट में अफसर बिरादरी के बीच धाक जमाने की नीयत से ज्यादातर भाजपा नेताओं ने कुर्सी को हथिया लिया। पूर्ण रूप से सरकारी कार्यक्रम का एक तरह से राजनीतिकरण हो गया।
कार्यक्रम में कांग्रेस की महापौर और अन्य जनप्रतिनिधियों को भी न्यौता दिया गया था, लेकिन उन्हें भाजपा नेताओं के दबदबे का आभास हो गया था। जिसके चलते कांग्रेसी नेताओं ने कार्यक्रम से दूरी बना ली। इस बीच भाजपा नेताओं के रवैये को लेकर अफसरों ने दबी जुबां नाराजगी जाहिर की। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि भाजपा नेताओं को रोकने में प्रशासन ने भी रूचि नहीं ली। भाजपाईयों के सरकारी कार्यक्रम में मौजूदगी को लेकर प्रशासन ने चुप्पी साध ली।
इस संबंध में कांग्रेस प्रवक्ता रूपेश दुबे ने ‘छत्तीसगढ़’ से कहा कि एक तरह से भाजपा नेताओं ने प्रशासनिक तंत्र पर दबाव बनाने का अभियान शुरू किया है, जो कि प्रशासनिक आतंक का पर्याय है। 15 साल भाजपा ने राज्य में प्रशासनिक आतंकवाद के जरिये शासन किया था। यह दुर्भाग्य है कि गैर निर्वाचित भाजपा के लोग सरकारी कार्यक्रम में मौजूद रहे, यह लोकतंत्र के लिए घातक है।
इधर, अफसरों को कुर्सी के लिए परेशानी उठानी पड़ी। कलेक्टर को छोडक़र ज्यादातर उच्च अधिकारी भाजपा नेताओं के साथ बैठने विवश दिखे।