सरगुजा
चक्काजाम, दुर्घटना अथवा पुलियों के टूटने के बाद भी दूरस्थ स्वास्थ्य केंद्र तक दवा, वैक्सीन पहुंचना आसान होगा
सफल ट्रायल पर मेडिकल अमला ने जताई खुशियां
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर, 19 फरवरी। केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना ड्रोन टेक्नोलॉजी इन हेल्थ केयर सेक्टर के तहत सरगुजा जिले में स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर करने तथा आपात परिस्थिति में दूरस्थ क्षेत्रों से मरीजों से सैंपल व मेडिकल कॉलेज से जांच रिपोर्ट को भेजने के लिए सोमवार को राजमाता देवेंद्र कुमारी मेडिकल कालेज अस्पताल परिसर से उदयपुर के बीच ड्रोन की सहायता से सैंपल व रिपोर्ट भेजने का ट्रायल करवाया गया जिसमें सैंपल भेजवाया व मंगाया गया।
अंबिकापुर से उदयपुर अस्पताल की दूरी 40 किलोमीटर दूर है पर ड्रोन ने महज 30 मिनट में ही यह दूरी तय कर ली।दोपहर 12.26 बजे मेडिकल कालेज से तीन सैंपल किट लेकर ड्रोन ने उड़ान भरी और महज 30 मिनट में उदयपुर स्थित झिरमिटी स्टेडियम ग्राउंड में पहुंच गया। उदयपुर से पुन: सैंपल लेकर 1.15 पर ड्रोन ने उड़ान भरी जो 30 मिनट में मेडिकल कालेज ग्राउंड में पहुंच गया।
सडक़ मार्ग से यह दूरी तय करने में कम से कम एक घंटे का समय लगता है और अगर मार्ग में जाम आदी की समस्या हो तो फिर ऐसे में और अधिक देरी हो जाती है इसलिए मरीजों को बेहतर सुविधा जल्द से जल्द आपात स्थिति में उपलब्ध कराने के लिए यह प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है। इस ड्रोन का संचालन दो स्वयं सहायता समूहों द्वारा ड्रोन निर्माण वाली कंपनियों के सहयोग से किया जा रहा है। इस परिजयोजना को ड्रोन दीदी नाम दिया गया है।
ड्रोन के संचालन के लिए समूह की महिलाओं को दिल्ली में प्रशिक्षित भी किया गया है। इस सुविधा का उपयोग केवल आपात परिस्थिति में ही किया जाएगा क्योंकी इसकी संचालन की लागत प्रति किलोमीटर 150 रूपये है ऐसे में ड्रोन के आने-जाने के एक चक्कर में ही 6000 रूपये का व्यय होना तय है। आने वाले समय में और अधिक भार ले जाने में सक्षम ड्रोन का परीक्षण किया जाएगा। आज जिस ड्रोन का परीक्षण किया गया था वह 1 किलो भार ले जाने में सक्षम था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस पायलेट प्रोजेक्ट के लिए देश के 25 मेडिकल कॉलेजों में अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज को चयनित किया गया है। ई निविदा में शासन के तय मानदंडों को पूरा करने पर चार ड्रोन कंपनियों आरंभिक चयन किया गया है। जिसके तहत सभी कंपनियों के द्वारा बारी-बारी से ट्रायल किया जाएगा। प्रदर्शन के आधार पर किसी एक कंपनी का चुनाव होगा। इस अवसर पर अस्पताल अधीक्षक डॉ आरसी आर्या सहित अन्य अधिकारी, कर्मचारी और विद्यार्थी उपस्थित थे ।
संभाग के लिए गर्व का क्षण-डीन
सफर ट्रायल को लेकर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. रमणेश मूर्ति ने कहा की मेडिकल कॉलेज सरगुजा का इस पायलेट प्रोजक्ट में चयनित होना सरगुजा संभाग के लिए गर्व की बात है और यह गौरव का क्षण है।
उन्होंने बताया कि यदि प्रयोग सफल रहा तो चक्काजाम, दुर्घटना अथवा पुलियों के टूटने के बाद भी दूरस्थ स्वास्थ्य केंद्र तक दवा, वैक्सीन पहुंचना आसान होगा बल्कि सैंपल भी ला सकता है। कोविड जैसी महामारी अथवा किसी अन्य आपदा कि स्थिति में यह बहुत कारगर एवं प्रभावी कदम साबित होगा।
प्राय: देखा जाता है कि यातायात बाधित होने, हड़ताल, सडक़ दुर्घटना की स्थिति में सैम्पल, दवा, किट्स इत्यादि कि सप्लाई बाधित होती है। यह पायलेट प्रोजेक्ट उसी दिशा में टेस्टिंग इत्यादि नियंत्रित करने में सार्थक पहल होगी।