कोण्डागांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 7 मार्च। कोण्डागांव जिला के मड़ानार गांव में शिव जी की विशेष कृपा हुई है। यहां भगवान शिव ने 7 साल की बच्ची नंदनी को दर्शन दिया। दर्शन देने के बाद भक्तों में कृपा बसाने के लिए लिंग रूप में स्वयं उद्गम होकर मड़ानार में स्थापित हो गए। इसके बाद से लगातार मड़ानार में शिवलिंग दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है। यह पहला अवसर होगा जब मड़ानार के जंगल में स्वयंभू शिवलिंग में पहला महाशिवरात्रि मनाया जाएगा। इसके लिए तैयारी जोरों से की जा रही है।
इस वर्ष शिव भक्तों के लिए श्रवण का महीना अत्यंत महत्वपूर्ण था, क्योंकि इस वर्ष डबल श्रवण मास था। यानि पूरे श्रावण के महीने में 8 सोमवार शामिल थे। इसी पवन श्रावण मास में पहली बार मड़ानार गांव के कक्षा तीसरी कक्षा में पढऩे वाली नंदिनी को जंगल में शिवलिंग की प्राप्ति हुई है।
ग्रामीणों का दावा है कि, नंदिनी अपनी दादी भागवती के साथ श्रावण माह के एक रोज जंगल में बोड़ा बिनने पहुंची थी। इस दौरान अचानक नंदिनी को जंगल में तेज प्रकाश दिखाई दिया, तेज रोशनी के पास नंदिनी पहुंची तो उसे चमत्कारिक रूप से शिवलिंग की प्राप्ति हुई। शिवलिंग उत्पत्ति की यह घटना गांव और देखते ही देखते कोण्डागांव जिले में आग की तरह फैलने लगी। केवल श्रावण माह ही नहीं, इसके बाद भी लगातार शिव उद्गम स्थल पर भगवान भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए भक्तों का यहां तांता लगा रहता है।
प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचते हैं
मान्यता है कि शिव की भक्ति में केवल दर्शन मात्र से ही भक्तों के सारे कष्ट हर लिए जाते हैं , ऐसे में स्वयंभू उत्पन्न शिवलिंग की जानकारी भक्तों को जैसे-जैसे फैलने लगी, यहां भक्तों का तांता लगने लगा। स्थानीय ग्रामीण व पुजारी लखमू ठाकुर, मंदिर समिति अध्यक्ष पेनसिंह इत्यादि का दावा है कि, प्रतिदिन सैकड़ो श्रद्धालु शिवजी के दर्शन पाकर कृपा पाने के लिए यहां आते हैं। साथ ही मंदिर समिति के सदस्यों व पदाधिकारी का कहना है कि, इस वर्ष शिवरात्रि के दौरान भक्तों में भारी भीड़ हो सकती है।
लगातार जल की धारा शिवलिंग की है विशेषता
मड़ानार के जिस जंगल में शिवलिंग की उत्पत्ति हुई है, उसके आसपास जल का कोई स्रोत नहीं है। लेकिन जहां नंदिनी को शिवजी प्राप्त हुए हैं उसके ठीक ऊपर से जल की धारा निरंतर शिवजी पर गिरता रहता है। इसी तरह इस स्थल पर शिवजी के साथ गणेश और नंदी की भी उत्पत्ति माना गया है।
छोटे से लिंग रूप में दिए थे दिखाई, अब आकर में हुए परिवर्तन
सबसे पहले दर्शन पाने वाली नंदिनी की दादी भागवती के अनुसार, जब शिवजी का यहां प्रथम दर्शन हुआ तो शिवलिंग काफी छोटे आकार का था। लेकिन कुछ ही दिनों में इस शिवलिंग का आकार बड़ा हो गया।