राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 10 मार्च। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के तत्वावधान में छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशन एवं जिला न्यायाधीश व अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजनांदगांव के निर्देशन में शनिवार को जिले में नेशनल लोक अदालत का वर्चुअल और भौतिक उपस्थिति मोड में आयोजन किया गया।
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर न्यायालयों में लंबित प्रकरणों के त्वरित निराकरण के लिए राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया है। इसमें सर्वोच्च न्यायालय से लेकर तहसील स्तर तक के न्यायालयों में लोक अदालत आयोजित की गयी। जिला राजनांदगांव, जिला मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी एवं जिला खैरागढ़-छुईखदान-गंडई में न्यायालय में लंबित, राजस्व न्यायालय एवं प्री-लिटिगेशन के 1 लाख 1 हजार 192 प्रकरणों को निराकरण के लिए चिन्हित किया गया।
इस लोक अदालत में लगभग 99 हजार 995 मामलों का सफलतापूर्वक निपटान किया गया। निपटान किए गए मामलों में कुल 97051 मामले प्री-लिटिगेशन चरण के थे और 2944 मामले ऐसे थे, जो विभिन्न न्यायालयों में लंबित थे, निपटान राशि लगभग 22 करोड़ 47 लाख 96 हजार 768 रुपए थी। नेशनल लोक अदालत में आपराधिक राजीनामा योग्य मामले, मोटर वाहन दुर्घटना दावा से संबंधित मामले, धारा 138 एनआई एक्ट से संबंधित मामले अर्थात चेक से संबंधित मामले, वैवाहिक विवाद के मामले, श्रम विवाद के मामले, बैंक ऋण वसूली वाद, रूपए वसूली वाद, विद्युत बिल एवं टेलीफोन बिल के मामले, भूमि अधिग्रहण से संबंधित मामले, राजस्व न्यायालय के मामले एवं अन्य राजीनामा योग्य वाद आदि से संबंधित मामलों की सुनवाई की गई।
समझौता के आधार पर निराकृत
नेशनल लोक अदालत के आयोजन अवसर पर न्यायालय प्रथम अपर जिला न्यायाधीश श्री दीपक के. गुप्ता राजनांदगांव के न्यायालय में लंबित व्यवहार वाद प्रकरण, शौर्य टेलीकॉम कम्यूनिकेशन विरूद्ध आहुआ मोबाईल्स इंडिया प्रायवेट लिमिटेड कंपनियों के मामलें जो कि विगत 6 वर्षों से 34 लाख 43 हजार 560 रूपए के लेेन-देन हेतु लंबित था। मामले को राजीनामा के आधार पर निराकरण की संभावना को देखते प्रकरण नेशनल लोक अदालत में रखा गया। नेशनल लोक अदालत में न्यायालय के न्यायाधीश श्री दीपक के. गुप्ता द्वारा दोनों पक्षों को समझाईश दिए जाने पर उभयपक्ष अपने मामलों को आपसी समझौते के आधार पर निराकरण हेतु सहमत हुए तथा उनके मामले का निराकरण नेशनल लोक अदालत के माध्यम से किया गया।
पति-पत्नी के मामले का निराकरण
नेशनल लोक अदालत निराकृत हेतु रखे जाने पर प्रकरण के दोनों पक्ष न्यायालय में उपस्थित हुए। न्यायालय में उपस्थित होने पर दोनों पक्षों को न्यायालय द्वारा समझाईश दिए जाने पर दोनों पति-पत्नी आपस में पुन: दाम्पत्य जीवन निर्वाह करने हेतु साथ रहने सहमत हुए। दोनों पक्षों राजीखुशी अपने घर सुखपूर्वक जीवन व्ययतीत करने हेतु चले गए। न्यायालय द्वारा उनको सद्भावना स्वरूप पौधा भेंट किया गया। इस प्रकार नेशनल लोक अदालत के माध्यम से पति-पत्नी का मामलों को विगत 2 वर्ष से न्यायालय में लंबित था, का निराकरण किया गया।
तीन साल बाद मिले दादी और पोते
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी गुरुप्रसाद देवांगन के न्यायालय में विचाराधीन मामले में दादी भूरीबाई चंदेल और पोते प्रेमलाल चंदेल के बीच पारिवारिक विवाद जो कई वर्षों से लंबित था। जिसमें न्यायालय द्वारा प्रार्थिया के घर जाकर जो चलने में असमर्थ थी, जो पैरालिसिस के तकलीफ से जूझ रहे थी वहां व्यवहार न्यायालय खैरागढ़ के पीएलवी गोलूदास साहू तथा अभियुक्त के वकील सौरभ श्रीवास्तव द्वारा न्यायालय खैरागढ़ से 25 किलोमीटर दूर उसके ग्राम परसुली घर जाकर राजीनामा दादी और पोते के बीच कराया गया। साथ ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रार्थिया राजीनामा के लिए अपनी स्वीकृति जेएमएफसी गुरु प्रसाद देवांगन को दी और डॉकेट फॉर्म में अपना अंगूठे का निशान लगाई और दोनों के मध्य राजीनामा हुआ। दोनों के मध्य जो विवाद और संघर्ष था, वह खत्म हुआ और दोनों एक-दूसरे से मिले। न्यायालय के प्रयास से पुन: मधुर संबंध दोनों नाती-पोते के बीच बना। दोनों ने इस पूरे कार्य के लिए नेशनल लोक अदालत के पूरे टीम का धन्यवाद किया।