सारंगढ़-बिलाईगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सारंगढ़, 6 अप्रैल। मामला गाताडीह की है, जहां शासकीय भवन होते हुए भी किराये के मकान में आंगनबाड़ी संचालित कर रही है। दरअसल पूरा मामला इस प्रकार है कि मिनी आंगनबाड़ी केंद्र संचालित करने के लिए गाताडीह के सरपंच सचिव द्वारा हास्पीटल के बगल वाली शासकीय जमीन पर भवन बनवाया गया था। जहां मिनी आंगन बाड़ी केंद्र कार्यकर्ता द्वारा करीब दो सालों तक उस भवन में संचालित की है। उसके बाद गाताडीह में नवीन उपार्जन केन्द्र खुलने से उपार्जन केन्द्र वालों को भवन की आवश्यकता थी, इसलिए सरपंच और सचिव ने मिनी आंगनबाड़ी को खाली करवा कर व्यवस्था पर दिया गया था, और मिनी आंगनबाड़ी केंद्र के लिए सरपंच द्वारा किराए की मकान व्यवस्था भी की गई है, जबकि सरपंच व सचिव ने आंगनबाड़ी केंद्र संचालित होने वाले भवन को खाली करवा कर मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को एक झोपड़ी नुमा जर्जर हो चुके किराये के मकान में छोटे छोटे बच्चों को पढ़ाने के लिए भेज दिया।
मिनी आंगनबाड़ी केंद्र संचालित करने वाली कार्यकर्ता गोमती साहू ने अपना दर्द बयां कर हमारे प्रतिनिधि को बताया कि मैं विगत 4 सालों से एक किराये के मकान में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित करते आ रही हूं जिस जगह मैं आंगनबाड़ी केंद्र संचालित कर रही हूं ओ जगह पठारी क्षेत्र है जिस मकान को किराया लेकर आंगनबाड़ी केंद्र खोला जा रहा है, वहां आये दिन जहरीले सांप, बिच्छू अन्य जीव जंतु हमेशा निकलते रहते हैं। वैसे जगह में आज मैं छोटे-छोटे बच्चों को आंगन बाड़ी में पढ़ा रही हूं, जबकि मिनी आंगनबाड़ी केंद्र के लिये भवन था जिसे सोसायटी खोलने के नाम पर सरपंच सचिव ने सोसायटी आफिस बनाया है। विगत 4 साल से मैं किराये के मकान में आंगन बाड़ी संचालित कर रही हूं।
उन्होंने बताया कि महिला एवं बाल विकास परियोजना भटगांव द्वारा कई बार सरपंच सचिव को भवन खाली करने नोटिस दिया गया है फिर भी आज तक भवन खाली नहीं करवा पाए।