रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 अप्रैल। छत्तीसगढ़ शासन सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी अनुकंपा नियुक्ति आदेश से दिवंगत शासकीय सेवक के परिजन कलेक्टर,कमिश्नर कार्यालय में भटकने के लिए मजबूर होंगे। जारी आदेश पूर्ववर्ती सरकार के आदेश के समतुल्य है, इसलिए इसे तत्काल वापस लिया जावे।
कर्मचारी नेता विजय कुमार झा ने मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय से मांग की है कि कांग्रेस शासन में तृतीय श्रेणी के पदों पर 10त्न सीमा बंधन के कारण दिवंगत शासकीय सेवक के परिजन अनुकंपा नियुक्ति से वंचित रहे हैं। वर्तमान में भी 10 प्रतिशत का निर्देश जारी किया गया। उसके बाद उसे बढ़ाकर 25त्न किया गया। इससे विभागों में जो दिवंगत शासकीय सेवक के परिजन के प्रति सद्भभावना, स्नेह प्रेम है, उससे वंचित हो जाएंगे, तथा कलेक्टर कमिश्नर या शासन स्तर पर अनुकंपा नियुक्ति होने पर अन्य जिले, अन्य विभागों में पदस्थापना होगी। साथ ही इन कार्यालयों का चक्कर लगाने मजबूर होना पड़ेगा। जब विभाग में तृतीय श्रेणी के पद रिक्त हैं, तो तृतीय श्रेणी में सीमा बंधन कर आश्रित परिवार को नियुक्ति से वंचित क्यों किया जा रहा है। श्री झा ने मुख्यमंत्री से मांग की है, कि तत्काल इस निर्देश को वापस लिया जाकर विभागों में ही रिक्त पदों पर अनुकंपा नियुक्ति दी जावे। इससे पूर्व अनुकंपा नियुक्ति शिक्षक पंचायत कल्याण संघ जिन्होंने 9 माह तक बुढ़ा तालाब में अनुकंपा नियुक्ति हेतु आंदोलन किया था।
प्रमोशन में आरक्षण तीन माह में नई अधिसूचना
दूसरी ओर प्रमोशन में आरक्षण को लेकर मंगलवार को हाईकोर्ट के फैसले को लेकर कर्मचारी हलकों में भ्रम देखा जा रहा है। कुछ प्रचार माध्यमों में उसकी व्याख्या इस तरह की जा रही है, जैसे अदालत ने छत्तीसगढ़ में प्रमोशन पर आरक्षण ही खत्म कर दिया है। फैसले पर छत्तीसगढ़ के विधि विशेषज्ञों, पूर्व एडवोकेट जनरल, याचिकाकर्ताओं और अभियोजन से जुड़े लोगों का कहना है कि कोर्ट ने वह नोटिफिकेशन रद्द किया है, जो भूपेश सरकार 22 अक्टूबर 2019 को लेकर आई थी। प्रमोशन में आरक्षण रद्द नहीं हुआ, बल्कि हाईकोर्ट ने साय सरकार को निर्देश दिए हैं कि इस आदेश की कापी मिलने से तीन महीने के भीतर सुप्रीम कोर्ट की ओर से समय-समय पर जारी मापदंडों के अनुरूप प्रमोशन में आरक्षण की नीति पर फिर से कार्य करते हुए इसे रीफ्रेम किया जाए। इस तरह, अब यह स्थिति बन रही है कि भूपेश सरकार का नोटिफिकेशन रद्द होने के बाद प्रमोशन में आरक्षण को लेकर गेंद पूरी तरह साय सरकार के पाले में आ गई है। नए नोटिफिकेशन के जरिए सरकार आरक्षण में प्रमोशन को पूरी तरह रद्द करेगी, या फिर भूपेश सरकार के फैसले को जारी रखेगी, यह फैसला अब पूरी तरह से विष्णुदेव साय की भाजपा सरकार को ही करना है।