सारंगढ़-बिलाईगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सारंगढ़, 10 मई। सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले के बरमकेला तहसील गौरव ग्राम बड़े नावापारा में 100 वर्ष पूर्व निर्मित जोगेश्वर शिव मंदिर का शताब्दी महोत्सव 10 से 12 मई तक मनाया जा रहा है।
इस शिव मंदिर के निर्माण और तकनिकी के विषय में प्राप्त जानकारी अनुसार यह मंदिर सौ वर्ष पूर्व वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया 3 जून 1924 को स्व. जागेश्वर गौटिया बड़े नावापारा द्वारा स्वयं के संसाधनों से बनाया गया था, उसके निर्माण में ईंट, पत्थर की जुड़ाई का गारा बालू, चुना, गुड़ बबलू का गोंद जैसे प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग हुआ है,छड़ सीमेंट बिल्कुल भी नहीं लगा है।
मंदिर तालाब के मध्य में निर्मित है मुख्य मंदिर में जाने के लिए पुलिया बनाया गया है।और जिस तालाब के मध्य में मंदिर है वहीं का पानी केवल भगवान शिव के अभिषेक के लिए उपयोग होता है,फिर वह अभिषेक किया हुआ पानी बह कर एक और पुलिया -सह नाली के माध्यम से एक बड़े तालाब में गिरता है जिसमें आम जनता स्नान करती है,मतलब भगवान शिव के अभिषेक जल में स्नान किया जाता है।
भगवान शिव मंदिर के चारों दिशाओं में अन्य देवी देवताओं का मंदिर है। आश्चर्य की बात ये है कि पानी के मध्य में सौ वर्षों से मंदिर रहने पर भी किसी विशेष प्रकार की क्षति नहीं हुई है। मंदिर का देखरेख स्व. जागेश्वर गौटिया के पुत्र स्व.केशवचंद्र साहा (स्वतंत्रता संग्राम सेनानी), स्व. देवराज साहा,स्व.भास्कर साहा ने अपने जीवन काल में किया उसके पश्चात उनके पौत्र स्व.घनश्याम साहा ,स्व. रोहित. साहा, स्व.चिंतामणि साहा आगे किये।
वर्तमान में बड़े गौटिया घर से टेकराम साहा, मंछला गौटिया घर से तुलाराम साहा, जादव साहा,मनोहर साहा छोटे गोटियां घर से पुरंधर साहा पेरमानंद साहा, पुरूषोत्तम साहा और सभी के पुत्रों द्वारा किया जा रहा है। मंदिर में पुजारी हमेशा उपलब्ध रहते हैं उनका भरणपोषण की जिम्मेदारी भी गौटिया परिवार का ही है।
मंदिर पूर्णत: निजी तौर से संचालित है। मंदिर के सौ वर्ष पूर्ण होने पर शताब्दी महोत्सव का आयोजन है जिसमें प्रथम दिवस दिनांक 10 मई को नाग देवता का प्राण प्रतिष्ठा, द्वितीय दिवस 11मई को भगवान शिव का रूद्राभिषेक पूजा अंतिम दिवस 12 मई को रूद्राभिषेक पूर्णाहुति एवं भंडारे का आयोजन किया गया है।