बिलासपुर
![सीवीआरयू में तृतीय लिंग समुदाय पर केंद्रित राष्ट्रीय सेमिनार सीवीआरयू में तृतीय लिंग समुदाय पर केंद्रित राष्ट्रीय सेमिनार](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1716127013GLOGO.jpg)
प्राचीन काल में किन्नर सम्मानित समुदाय थे, मुगलों और अंग्रेजों ने इसे विकृत किया-डॉ. पाठक
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 19 मई। डॉ सी.व्ही रमन विश्वविद्यालय में ‘भारतीय समाज में तृतीय लिंग समुदाय का अस्तित्व संघर्ष एवं अधिकार’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार पाठक थे। छत्तीसगढ़ ट्रांसजेंडर समाज के अध्यक्ष विजय अरोरा ने तृतीय लिंग समुदाय के अस्तित्व संघर्ष एवं अधिकारों के बारे में खुलकर चर्चा की।
इस अवसर पर अरोरा ने कहा कि आज तृतीय वर्ग समुदाय को सबसे ज्यादा संघर्ष अपने अपनों से करना पड़ता है। माता-पिता, परिवार समाज के लोगों को अधिक से अधिक संवेदनशील होकर उनकी भावनाओं को समझने की जरूरत है। यह वर्ग बहुत मानसिक संघर्ष करता है। सरकार , व्यक्ति और समाज का हर वर्ग उनके उत्थान के लिए सामूहिक प्रयास करें, तब ही वे मुख्य धारा से जुडक़र अपने जीवन को सार्थक कर सकेंगे। अरोरा ने अपने जीवन के संघर्षों को साझा किया।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता डॉ. पाठक ने कहा कि प्राचीन काल में किन्नरों को सम्मान दिया जाता था, लेकिन मुगल काल में इन्हें विकृत स्थान दिया गया और बेगम की सुरक्षा सहित अन्य कार्य इन से कराए जाने लगे। इसके बाद अंग्रेजों द्वारा लागू किए गए गलत कानून में 1871 से 1951 तक वह ज्यादा परेशान हुए। आज भी इन्हें परेशान होना पड़ रहा है।
इस अवसर पर उपस्थित विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रवि प्रकाश दुबे ने कहा कि गर्भ संहिता में उल्लेख है, कि स्त्री और पुरुष की बीज शक्तियां जब बराबर होती हैं, तब किन्नर का जन्म होता है। कहा जा सकता है कि वास्तव में एक किन्नर में स्त्री और पुरुष दोनों के सर्वगुण विद्यमान होते हैं। इस दृष्टि से वह समाज का सबसे अधिक महत्वपूर्ण मानव होता है। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा ही ऐसा माध्यम है जिससे हम पूरे समाज में इस समुदाय के प्रति संवेदनशील होने के लिए काम कर सकते हैं। डॉ सी वी रमन विश्वविद्यालय सदैव इस दिशा में काम करेगा। हम उनकी शिक्षा के लिए सदैव तत्पर रहेंगे।
सेमीनार में स्वागत भाषण सामाजिक विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ काजल मोइत्रा ने दिया। कला संकाय के अधिष्ठाता डॉ. वेद प्रकाश मिश्रा ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन डॉ महेश शुक्ला ने किया। कार्यक्रम में आयोजन सचिव सचिव डॉ ऋचा यादव तथा सामाजिक विज्ञान विभाग के प्राध्यापक डॉ. राम रतन साहू , डॉ. राकेश कुमार गुप्ता, डॉ रत्नेश खन्ना, डॉ. अंजू तिवारी, डॉ. सरिता मिश्रा, डॉ. अंजली सराफ, डॉ. रेनू शरण, डॉ संध्या जायसवाल, संजीव कुमार पाठक, डॉ. रीता बाजपेई, प्रभात मिश्रा तथा विश्वविद्यालय के समस्त विभागों के विभागाध्यक्ष और प्राध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी एवं प्रबुद्ध जन उपस्थित थे।