रायगढ़
![आखिर कब तक न्याय व अधिकार के लिए भटकेंगे संविदा-कर्मी आखिर कब तक न्याय व अधिकार के लिए भटकेंगे संविदा-कर्मी](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1719747806505.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 30 जून। मोदी की गारंटी एवं विष्णु के सुशासन का अक्षरश: पालन करती, राज्य की डबल इंजन सरकार को शपथ-ग्रहण पश्चात, 6 माह से अधिक दिन बीत गये है, पर आज दिनांक तक ना तो राज्य के शासकीय विभागों में, सबसे शोषित तबका, संविदा कर्मचारियों के 6 विभागों में, ना संविदा 27 प्रतिशत वेतन-वृद्धि, ना नियमितीकरण कमेटी की बैठक में संविदा पदाधिकारियों को शामिल किया गया है, और ना ही नियमितीकरण प्राप्त हो सका है, जिससे राज्य व जिले के समस्त संविदा कर्मचारियों में बेहद निराशा एवं आक्रोश है।
सरकार की ओर से, अपने विभागों तथा मांगो में किसी प्रकार की पहल ना होता देख, आज जिले के समस्त छत्तीसगढ़ सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारी, सरकार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए, नटवर स्कूल परिसर में अपना ज्ञापन अपने विधानसभा के विधायक सह वित्त मंत्री के नाम देने पहुंचे।
3 दिसंबर से अस्तित्व में आई भाजपा सरकार द्वारा, आज दिनांक तक इनकी मांगे पूर्ण नही हो सकी है। मोदीजी की गारंटी तथा विष्णु के सुशासन की याद दिलाते हुए, जिले के समस्त संविदा कर्मचारियों ने ओपी चौधरी को अपनी मांगो के संबंध में पत्र सौंपा, एवं मांग रखी कि समय-समय पर सौंपे गये कार्य दायित्व का बखूबी निर्वहन तन-मन-धन से करने पश्चात् भी, न्यूनतम संविदा वेतन पर कार्य करने को मजबूर है, तथा संविदा 27 प्रतिशत वेतन-वृद्धि, 06 विभागों में नहीं होने से इन्हें आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ रहा है।
विधानसभा के अनुपूरक बजट में तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा संविदा कर्मचारियों के लिए एकमुश्त वेतन-वृध्दि की घोषणा की गई थी। इसके लिए लगभग 350 करोड बजट का आबंटन भी किया गया था, पर यह बजट की राशि कहा चली गई, कि आज दिनांक तक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, आयुष विभाग, शिक्षा विभाग, कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी, महिला एवं बाल विकास विभाग तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को संविदा 27 प्रतिशत वेतन-वृद्धि, अप्राप्त है। राज्य में 40 से 45 हजार संविदा कर्मचारी कार्यरत हैं, इनका 2019 से लगभग 05 वर्ष बीत जाने के पश्चात भी, मासिक वेतन, अधिकतम समय-सीमा में संशोधित नही किया गया है, जिससे इन्हें आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ रहा है।