रायगढ़
![बड़े उद्योग की जनसुनवाई मामले में बड़े नेताओं बड़े उद्योग की जनसुनवाई मामले में बड़े नेताओं](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1719567776dani.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 28 जून। रायगढ़ जिले के पुसौर ब्लॉक में स्थित ग्राम बड़े भंडार में चल रहे अडानी पावर के विस्तार जल्द होना है, और इसकी जनसुनवाई जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में होने जा रही है, जिसको लेकर जो आपत्तियां जोर शोर से उठनी चाहिए उसको लेकर क्षेत्र के नेताओं के अलावा अधिकारियों की जुबान पर भी ताला लग गया है।
इतना ही नहीं समय-समय पर विज्ञप्ति के जरिये विरोध जताने वाले कथित पार्टी नेताओं की भी चुप्पी कई संदेहों को जन्म दे रही है। जबकि अडानी पावर प्लांट के विस्तार से न केवल पुसौर ब्लॉक के लोगों के लिये जहर उगलती चिमनियां स्वास्थ्य से खुलकर खिलवाड़ करेगी इसके अलावा क्षेत्र के लोगों को न केवल ठगा जाएगा, बल्कि वहां के बेरोजगारों के सपनों को भी चकनाचूर करने के लिये यह उद्योग एक नया मुकाम हासिल करेगा।
जुलाई के प्रथम सप्ताह में होने वाली अडानी पावर प्लांट की जन सुनवाई के विरोध के स्वर अंदर ही अंदर जरूर सुलग रहे हैं और क्षेत्र के लोग इस बड़े पावर प्लांट की पकड़ को देखते हुए सडक़ पर नहीं आ रहे हैं, और उन नेताओं का इंतजार कर रहे हैं जो उनका नेतृत्व करते हुए इसके विस्तार के लिये होने वाली जनसुनवाई में उनके लिये आवाज बनकर उभरे, पर रायगढ़ जिले के कई उद्योगों की जनसुनवाई का विरोध करने वाले नेताओं ने अपनी चुप्पी साध ली है।
कारण स्पष्ट है कि वे छोटे-मोटे उद्योग के खिलाफ तो बकायदा विज्ञप्ति जारी करके उसकी ईआईए रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए क्षेत्र के लोगों के साथ होने वाले स्वास्थ्य संबंध खिलवाड़ व बढ़ती दुर्घटनाओं के अलावा कोयले के परिवहन से पूरे इलाके में दिन व रात दहशत फैलाते परिवहन को लेकर कोई सवाल नहीं उठाए जा रहे हैं। जुलाई के प्रथम सप्ताह में इस अडानी उद्योग की जन सुनवाई में कई सवाल ऐसे है, जिनका जवाब शासन के अधिकारियों के पास नहीं है चूंकि पहले यह उद्योग फ्लाइएश के निस्तार तथा प्रदूषण फैलाने के मामले में भी चर्चा में आ चुका है।
एक जानकारी के अनुसार अडानी पावर प्लांट से पहले यह उद्योग कोरबा वेस्ट पावर प्लांट के नाम से संचालित था जहां घटिया निर्माण व सुरक्षा को दरकिनार करके सैकड़ों फीट ऊंची चिमनी बनाकर उद्योग चलाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन चिमनी गिरने की घटना में एक दर्जन से भी अधिक लोगों की मौत से यहां की मिट्टी खून से रंगी हुई है और अब अडानी कंपनी ने इस उद्योग को खरीदकर अपने नाम कर लिया है, जिसके बाद इसका विस्तार की शुरूआत हो चुकी है, जिसके कारण पुसौर ब्लॉक के दर्जनों गांव न केवल भीषण प्रदूषण की चपेट में आएंगे बल्कि कोयले के परिवहन के लिये 24 घंटे मौत बनकर सडक़ में चलने वाले डंपर से भी दुर्घटनाओं का आंकड़ा कई गुना बढ़ जाएगा। साथ ही साथ क्षेत्र के बेरोजगार को रोजगार देने के लिये इस कंपनी के पास कोई एजेंडा नहीं है, जिसके कारण निराश पुसौर ब्लॉक के लोग अब विरोध करने के लिये कभी भी सामने आ सकते हैं।
जन चेतना मंच के संयोजक राजेश त्रिपाठी का कहना है कि इस मामले में वे अपना विरोध जता रहे हैं और राज्य सरकार को जन सुनवाई से पहले कंपनी द्वारा दी गई ईआईए रिपोर्ट का गहन अध्ययन करना चाहिए जिसमें कई ऐसी झूठी जानकारियां है, जिसके कारण क्षेत्र के लोगों को जानकारी नहीं है और इसके विस्तार के बाद पुसौर ब्लॉक के कई गांव प्रदूषण की चपेट में आएंगे इतना ही नहीं आसपास के तालाब व नदी नाले का जल स्तर भी कई फीट नीचे चला जाएगा। इस उद्योग में कोयले के परिवहन के कारण भी सडक़ें गायब हो जाएंगी और दुर्घटनाओं के आंकड़ों पर भी कई गुना वृद्धि हो जाएगी। वहीं जिले के क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी अंकुर साहू ने कहा कि जन सुनवाई से पहले दी जाने वाली ईआईए रिपोर्ट का पूरा अध्ययन किया जाता है साथ ही साथ अधिकारियों की देखरेख में हर कमी को पूरा करने के लिये प्रबंधन को दिशा निर्देश दिये जाते हैं।
व बड़े लोगों की जुबानों पर लगा ताला
प्रदूषण व दुर्घटनाओं के साथ-साथ बेरोजगारों के लिये नहीं है कोई योजना