बिलासपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 9 जुलाई। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने आरईएस के एक सब इंजीनियर को रिश्वत लेने के आरोप से मुक्त करते हुए उसे दी गई सजा रद्द कर दी है। उसे न्याय पाने में 25 साल लग गए।
वर्ष 1999 में मनेंद्रगढ़ जनपद पंचायत में पदस्थ सब इंजीनियर आरपी कश्यप को आर्थिक अपराध शाखा ने गिरफ्तार किया था। ट्रायल कोर्ट में अभियोजन पक्ष ने बताया था कि ग्राम पंचायत केल्हारी के प्रेम बाबू मिश्रा को कुआं निर्माण के लिए जीवनधारा योजना के अंतर्गत 15 हजार 500 रुपये का अनुदान मिला था। इसकी तीसरी किश्त जारी करने के लिए कश्यप ने 1000 रुपये रिश्वत मांगी थी। किसान को रिश्वत की रकम एक किश्त 700 रुपये लेकर सब इंजीनियर के घर भेजा गया, जहां उसे रंगे हाथों पकड़ लिया गया। विशेष अदालत ने वर्ष 2002 में उसे तीन वर्ष के कठोर कारावास व 3000 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। इस आदेश के खिलाफ सब इंजीनियर ने हाईकोर्ट में अपील की थी। याचिका में बताया गया कि शिकायतकर्ता को उन्होंने एक दुकान से ईंट और सीमेंट उपलब्ध कराया था, जिसका उसे 1975 रुपये लेना था। इसकी बकाया रकम 700 रुपये उससे लेना था। उसी रकम को लौटाते समय उसने रिश्वत लेने के झूठे आरोप में फंसा दिया। सब इंजीनियर ने गवाह के रूप में सीमेंट दुकान के मालिक, ईंट सीमेंट ले जाने वाले मजदूर व ट्रैक्टर के मालिक को पेश किया था। हाईकोर्ट में जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की बेंच ने पाया कि आरोपी पर दोष सिद्ध नहीं होता है। कोर्ट ने विशेष अदालत द्वारा दी गई सजा निरस्त करते हुए सब इंजीनियर को बरी कर दिया।