बिलासपुर

दहेज हत्या के मामले में सजा कम कर आरोपी को रिहा करने का आदेश दिया हाईकोर्ट ने
16-Jul-2024 1:19 PM
दहेज हत्या के मामले में सजा कम कर आरोपी को रिहा करने का आदेश दिया हाईकोर्ट ने

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 16 जुलाई।
गला घोंटकर पत्नी की जान लेने के एक मामले में हाई कोर्ट ने साक्ष्य का परीक्षण के बाद मामले को दहेज हत्या का माना। हाई कोर्ट ने अपीलकर्ता को आजीवन कारावास से कम करते हुए दहेज हत्या के आरोप में सजा 10 वर्ष कर दी है।

मुंगेली सिटी कोतवाली क्षेत्र के फास्टरपुर चौकी के ग्राम लगरा निवासी पुलिस कर्मी राजकुमार सोनकर पत्नी बदन बाई से दहेज में मोटरसाइकिल व अन्य सामान की मांग करता था। 5 जुलाई 2013 को उसने पत्नी का गला घोंटकर जान ले ली। मृतक नवविवाहिता के पिता ने दामाद राजकुमार सोनकर के विरुद्ध दहेज के लिए बेटी की गला घोटकर हत्या करने की रिपोर्ट लिखाई। 

पीएम रिपोर्ट में गला घोटने से मौत की पुष्टि हुई। पुलिस ने धारा 302 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर किया। पति राजकुमार, सास, ससुर को गिरफ्तार कर जेल दाखिल किया गया। पुलिस ने आगे की विवेचना व गवाहों के बयान के बाद मामले में धारा 304 बी जोड़ कर न्यायालय में चालान पेश किया। सत्र न्यायाधीश ने सुनवाई के उपरांत आरोपी पति के खिलाफ पत्नी की हत्या के आरोप में धारा 304 बी व विकल्प में धारा 302 का चार्ज फ्रेम किया। गवाह व साक्ष्य का प्रतिपरीक्षण उपरांत अदालत ने सास, ससुर को संदेह का लाभ देते हुए रिहा किया व पति को धारा 304 बी व 302 दोनों में आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

निर्णय के विरुद्ध आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील की। इसमें कहा गया कि मामला दहेज हत्या का है व धारा 304 बी में सजा 7 वर्ष होनी चाहिए। आरोपी 10 वर्ष से जेल में है। उसे रिहा करने की मांग की गई।

हाई कोर्ट ने आरोपी को किस धारा में सजा होनी चाहिये इस पर विचार करने अदालत की सहायता के लिए अधिवक्ता आशीष तिवारी को न्याय मित्र नियुक्त किया। न्याय मित्र ने विभिन्न हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के न्याय दृष्टांत को पेश किए। उन्होंने मृतका के पिता व अन्य गवाहों के बयान के आधार पर मामले को दहेज हत्या का बनना बताया। 

सजा के प्रश्न पर दहेज हत्या के दुर्लभ मामले में आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। हाई कोर्ट ने सभी पक्षों के तर्क व न्यायदृष्टांत को सुनने के बाद अपने आदेश में कहा आरोपी पुलिस कर्मचारी था और अपराध में अंकुश लगाने के बजाय खुद शामिल हो गया। इसलिए मामले में गंभीरता से विचार करना होगा। दुर्लभ मामला होने पर आरोपी को आजीवन कारावास हो सकता है किंतु यह दुर्लभ नहीं है। न्याय की पूर्ति के लिए आरोपी की धारा 304 बी की 7 वर्ष की सजा को बढ़ाकर 10 वर्ष किया गया। आरोपी 30 सितंबर 2013 से जेल में बंद है। कोर्ट ने 10 वर्ष पूरा होने पर उसे रिहा करने का निर्देश दिया।
 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news