कोण्डागांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 3 जनवरी। जमधर सोढ़ी विकास खण्ड कोण्डागांव के छोटे से ग्राम चलका में रहने वाले एक लघु श्रेणी के प्रगतिशील कृषक हैं। जमधर पिछले 3 सालों से बीज उत्पादन का कार्य करते आ रहे हैं। जिसमें वे करेला, बरबटी, खीरा, शिमला मिर्च, फसलों का बीज उत्पादन करते आ रहे हैं।
पहले वह बीज के परिवक्वता पश्चात फसल की कटाई करके बीजों में नमी मात्रा के निर्देशानुसार बनाए रखने के लिए बीजों को धुप मे सुखातें थे। जिससे बीजों में अनियमितता बनी रहती थी व चिडियों, पशुओं के खतरे से बीजों को क्षति पहुचती थी तथा बीज की गुणवत्ता व चमक चली जाती थी। जिसमें ग्रेडिग पश्चात् भारी मात्रा में (लगभग 15-20 प्रतिशत) हानि उठानी पड़ती थी। लेकिन उद्यान विभाग द्वारा राष्ट्रीय बागवानी मिशन अंतर्गत वर्ष 2018-19 में सोलर पावर ड्रायर 50 प्रतिशत अनुदान पर रामधर को प्रदाय किया गया। जिसके लगातार उपयोग से बीजों में समानता, चमक व कम मेेहनत से बीजों कों मानक अनुसार सूखाकर बीजों कों बैंगिग कर कंपनी में भेजने की सुविधा प्राप्त हुई। जिससे ग्रेडिग में होने वाली हानि बहुत कम हो गयी हैं। यह मशीन सोलर व विद्युत दोनो से चलती हैं, जिससे गर्मी के दिनों में सूर्य के प्रकाश व खराब मौसम की स्थिति में एक कमरे में सफलतापूर्वक उपयोग किया जा सकता है।
जमधर सोढ़ी ने कहा कि, उद्यानिकी विभाग के अधिकारी लोकेश्वर प्रसाद धु्रव द्वारा मुझे समय-समय पर योजनाओं के संबंध में जानकारी व सफल उद्यानिकी क्रियाविधियों के बारे में निरंतर जानकारी प्राप्त होती रहती हैं। जिसमें सब्जीय वर्गीय फसलों के बीज उत्पादन में अधिकाधिक लाभ प्राप्त हो रहा हैं। साथ ही उद्यानिकी फसलों व बीजों के उत्पादन एवं प्रसंसकरण के लिए नियमित प्रशिक्षण से महत्वपूर्ण जानकारी मिलती रही हैं। इस प्रकार विभाग के मदद से हमारा आय बढ़ रहा है, जो की हमे नये तकनीकों को अपनानें व उद्यानिकी फसलों के उत्पादन करने के लिए हमारा मनोबल बढ़ा हैं। इस संबंध में लोकेश्वर प्रसाद धु्रव ने बताया कि, पूर्व में पारंपरिक कृषि से वर्ष में अपने 3.5 एकड़ खेत से केवल जीवन निर्वहन के लिए पैसे जमा कर पाते थे। परंतु बीज उत्पादन से जुडऩे के पश्चात विभाग द्वारा प्रदत्त सोलर पावर ड्रायर की सहायता से प्रति एकड़ वर्ष में 4 क्विंटल बीज का उत्पादन करेला फसल से कर रहे हैं। जिससे उन्हें वार्षिक रूप से शुद्ध रूप से 4,00,000 रूपयों की आमदनी प्राप्त हो रहा हैं। ड्रायर प्राप्ति के पूर्व 1 एकड़ में करेला फसल से केवल 160 किलो ग्राम बीजों का उत्पादन छमाही में संभव हो पाता था जबकि ड्रायर प्राप्त होने से अब प्रति एकड़ 210 से 220 किलो ग्राम तक बीज प्रति छमाही उत्पादन हो राहा है।