रायगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सारंगढ़, 11 जनवरी। आचार्य-कुल- परम्परा के अग्रणी , संस्कृत-विद्वान पण्डित रामदत्त द्विवेदी शास्त्री के निधन पर अधिवक्ताओ के द्वारा शोक सभा का आयोजन किया गया। शोक सभा में अधिवक्ता दीपक तिवारी ने द्विवेदी के व्यकित्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि द्विवेदी सादगी के साथ संस्कृत भाषा को लोगो तक पहुचाने के लिए निशुल्क शिक्षा देते रहे और सारंगढ़ में संस्कृत की परीक्षा केन्द्र बनवाने में अमूल्य योगदान दिए है।
सभा को सम्बोधित करते हुए अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष विजय कुमार तिवारी ने कहा कि शास्त्री के निधन से संस्कृत और संस्कृति की अपूरणीय क्षति हुई है। अधिवक्ता आई सी मिश्रा ने कहा कि स्व.रामदत्त द्विवेदी सौम्य, विनम्र व्यक्तित्व के धनी थे। सचिव प्रफुल तिवारी ने कहा कि द्विवेदी विप्र गरिमा को जीवन भल धारण करने वालेआदर्श व्यक्तित्व थे।
अधिवक्ता देवेंद्र नाथ नंदे ने कहा कि उनके निधन से हम सबने क्षेत्र के सबसे बड़े विद्वान को सदा के लिये खो दिया है। जिसके बिछुडऩे का सबको दुख है। अधिवक्ता अभय मिश्रा ने कहा द्विवेदी का सानिध्य मुझे मिला है, मैं उनकी सादगी जीवन का कायल हूं। उपाध्यक्ष कुलदीप पटेल, देव प्रसाद कहार आशीष मिश्रा कोषाध्यक्ष नर्मदा तिवारी आदि अधिवक्ता गणों ने दिवंगत आत्मा के लिये दो मिनट का मौन धारण कर विनम्र श्रद्धांजलि दी है।