बस्तर

राज्यपाल से बस्तर अधिकार मुक्तिमोर्चा के पदाधिकारियों ने की मुलाकात
12-Feb-2021 6:09 PM
राज्यपाल से बस्तर अधिकार मुक्तिमोर्चा के पदाधिकारियों ने की मुलाकात

बस्तर के ज्वलंत मुद्दों पर ध्यानाकर्षण कर निराकरण की रखी मांग

जगदलपुर,12 फरवरी। बस्तर अधिकार मुक्तिमोर्चा के मुख्य संयोजक नवनीत चांद के नेतृत्व में मुक्ति मोर्चा के संभागीय दल द्वारा बस्तर प्रवास पर आईं राज्यपाल अनुसुईया उइके से मुलाकात कर, बस्तर के ज्वलंत मुद्दों व विकास की मांग पर उनका ध्यान आकर्षन करते हुए निराकरण हेतु 13 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन को सौंपा।

 मुक्ति मोर्चा के मुख्य संयोजक नवनीत चांद, जिला संयोजक भरत कश्यप व शहर संयोजक शोभा गंगोत्री ने कहा कि बस्तर छत्तीसगढ़ राज्य की नवगठित 20वर्ष गुजर जाने के बाद भी बस्तर को वास्तविक विकास प्रशासनिक व आर्थिक फैसलों का अधिकार आज प्रर्यंत तक नहीं मिला है, जो कहीं ना कहीं बस्तर संभाग के 7 जिलों में निवासरतजनों के लिए मायूसी का कारण है। यदि राज्य सरकार यह कहती हैं कि बस्तर के विकास के फैसले बस्तर में ही होने चाहिए, तो बस्तर संभागीय मुख्यालय को उपराजधानी का दर्जा क्यों नहीं दिया जा रहा है? न्याय व न्यायालय के प्रति, बस्तर के निवासियों का आस्था बढ़ाने हेतु उच्च न्यायालय का उच्च न्यायालय की खण्डपीठ स्थापना मील का पत्थर साबित होगी। 

वहीं बस्तर में औद्योगिक विकास के रास्ते रोजगार, स्वरोजगार से बस्तर की तस्वीर बदलने की सरकारी योजनाओं की हवा नगरनार स्टील प्लांट के विनिवेशीकरण से निजीकरण की तरफ बढ़ती केंद्र व राज्य की बस्तरहित विरोधी फैसले निकाल रही है। एक तरफ राज्य सरकार लौह उत्खनन लीज प्रक्रिया को सरल कर औद्योगिकरण को बढ़ावा देने की बात कह रही है, दूसरी तरफ बस्तर के संवैधानिक अधिकार व पेशाकानून का प्रावधानों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। जिसका उदाहरण बैलाडीला की 4 खदानों को बिना बस्तर की हितों की शर्तों पर संवाद स्थापित कर सर्वोच्च न्यायालय के कॉमन कॉल जजमेंट के दिशा निर्देशों का उल्लंघन करते हुए। 1600 करोड़ के जुर्माने के बावजूद, एनएमडीसी के नाम 2035 लीज रिनिवल कर दिया गया है। वहीं नारायणपुर जिले के आमदई लौह खदान व बैलाडीला के 13 न0 लौह खदानों में ग्राम सभा के फर्जी पाए जाने की पुष्टि प्रशासन द्वारा कर दिए जाने के बावजूद भी बस्तर के भावनाओं के खिलाफ कम्पनियों को आवंटित किए गया है।

 40 वर्ष पुरानी बोधघाट परियोजना को पुन: प्रारंभ करने की मंशा राज्य सरकार ने जताते हुए केंद्रीय कम्पनी वेपकास को सर्वे का काम दिया गया है। विडम्बना यह है कि वर्षों पूर्व केंद सरकार द्वारा गठित कमेटी द्वारा किए गए शोध में परियोजना के संचालन पर बस्तर को होने वाले बड़े नुकसान को देखकर कहीं गंभीर आपत्तियां दर्ज करवाते हुए परियोजना को बंद कर देने की सिफारिश की गई है, जो आज पर्यंत तक यथावत है। राज्य सरकार द्वारा बस्तर से बीना संवाद स्थापित किए तानाशाही रवैया अख्तियार कर, समस्याओं के निराकरण की पहल भरी योजनाओं को बस्तर के समक्ष रखे बिना सीधे परियोजना को प्रारंभ करने प्रबल इच्छा शक्ति दिखाना बस्तरवासियों के मन में संदेह व घबराहट पैदा करता है। इस परियोजना का प्रमुख उद्देश्य बस्तर में सिंचाई योजना को मजबूत करना है तो राज्य सरकार पड़ोसी राज्य तेलंगाना में स्थापित वॉटर लिफ्टिंग सिंचाई परियोजना नीति को बस्तर में लागू करें। 

बस्तर में शिक्षा व स्वास्थ, यातायात, रोजगार स्वरोजगार के रास्ते प्रस्तत करने हेतु, संभागीय मुख्यालय में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने व देश प्रेम को बढ़ाने हेतु एक सैनिक स्कूल की स्थापना, स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने हेतु बस्तर के स्थानीय ऊर्जावान काबिल छात्र को बढ़ावा देने हेतु बस्तर के सबसे पिछड़े इलाकों में से एक अबूझमाड़ में निवासरत अतिपिछड़ा आदिवासी समुदाय हेतु बस्तर में संचालित मेडिकल कॉलेज में 5 सीटें आरक्षित की जाए। हवाई यात्रा प्रारंभ होने के बाद की नव निर्मित पासवर्ड कार्यालय का शुभारंभ का इंतजार पूरे बस्तर को बेसब्री से है, आपके हस्तक्षेप से प्रारंभ किया जाये। बस्तर में शिक्षित व अशिक्षित बेरोजगारों को ध्यान में रखते हुए बस्तर के पृथक लोकसेवा आयोग का गठन किया जाये, ताकि शासकीय व अशासकीय सभी रोजगार स्वरोजगार भर्तिी योजनाओं में 100 फीसदी बस्तर के निवासियों को भागीदारी सुनिश्चित हो सके, बस्तर में रेलवे लाइन दल्लीराजरा रेलवे लाइन के कार्ययोजना प्रगति लाने हेतु, केंद्र सरकार के उपक्रम सेल व एनएमडीसी द्वारा संयुक्त रूप से बनाई गई कम्पनी बस्तर रेलवे प्रावेट लिमिटेड मुख्यालय बस्तर में स्थापित किया जाये। बस्तर को आर्थिक आजादी बस्तर को वास्तविक विकास हेतु आर्थिक आजादी से योजनाए बनाने की नितियों के तहत सर्वोच्च न्यायालय के दिए निर्देशा अनुसार ष्ठरूस्न डीएमएफ व ष्टस्क्र सीएसआर की राशि खर्च करने अधिकार है, उस पर राज्य सरकार के हस्तक्षेप को बंद किए जाने की आवश्यकता है व संवैधानिक प्रावधानों के तहत आपके संरक्षण में जनजातीय सलाहकार परिषद की बैठकों के माध्यम से बस्तर व सरगुजा के विकास रीति-नीति तय किये जाने हेतु, बैठक रायपुर राजधानी में ना होकर बस्तर व सरगुजा के संभागीय मुख्यालय में किया जाये इन सभी मुद्दों को लेकर राज्यपाल को 13 सूत्रीय ज्ञापन सौंप निराकरण की मांग रखी गई।

इस सौजन्य मुलाकात में बस्तर अधिकार मुक्तिमोर्चा के शहर महामंत्री सुनिता दास, कोषाध्यक्ष अंकिता गुरूदत्वा, उपाध्यक्ष शैलेंद्र वर्मा, लोहण्डीगुड़ा ब्लॉक संयोजक तुलसी सेठिया, नानगुर ब्लाक अध्यक्ष विकास मांझी, एकता रानी, मीना केशरवानी, सुरेंद्र तिवारी, गुडिय़ा,स्वेती सेठिया, संगीता दानी, धीरज जानी, गीता बघेल, शारदा कश्यप, तामेश्वरी साहू, मीना कौर, चंदा खुदराम सहित  मुक्तिमोर्चा के पदाधिकारी उपस्थित थे।

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