बस्तर
![नक्सलियों का अस्तित्व बूझते दिए के समान नक्सलियों का अस्तित्व बूझते दिए के समान](https://dailychhattisgarh.com/2020/chhattisgarh_article/16133155506.jpg)
नक्सली अपने सिमटते दायरे को देखकर पत्रकारों एवं समाजसेवियों को दे रहे धमकी- मनीष
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 14 फरवरी। नक्सलियों के विरूद्ध हमेशा मुखर रहने वाले एवं पूर्व में सामाजिक एकता मंच जैसे संगठन का बखूबी सफलतापूर्वक नेतृत्व कर चुके जगदलपुर भाजपा के युवा नेता मनीष पारख ने हाल ही में पत्रकारों, समाजसेवियों एवं राजनीतिक पार्टियों पर झूठे आरोप लगाकर एवं उनके विरूद्ध पर्चा जारी करके जनअदालत में हत्या करने को लेकर जारी किये गए धमकी भरे पर्चें पर नक्सलियों के विरोध में अपना बयान जारी किया है।
भाजपा युवा नेता मनीष पारख ने कहा है कि, गरीबों को उनका हक दिलाने के नाम शुरू किया गया नक्सली आंदोलन का अस्तित्व तो उस दिन ही समाप्त हो गया था जब इन्होंने धन और सत्ता की चाहत में गरीब आदिवासियों का शोषण करते हुए अपहरण, फिरौती, बम विस्फोट, आदिवासियों की निर्ममता से हत्याएं, अवैध वसूली, विकास को बाधित करने की कोशिशें, लोकतांत्रिक सत्ता को उखाड़ फेंकने की गंदी नियत और बेबूनियादी समांतर सरकार चलाने की इन्होंने हिमाकतें की।
नक्सलवाद का अस्तित्व अब पूरी तरह से खत्म होने की कगार पर पहुॅच चुका है अब वह केवल बूझते दिए के सामान है। जिस प्रकार बूझते दिए की लौ अंतिम बार फड़-फड़ाती है उसी प्रकार अब बचे-कुचे नक्सली अपनी कमजोरी प्रकट न होने देने की रणनीति के तहत् रह-रहकर हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने का कार्य करते हैं और स्वयं बड़े कॉरपोरेट घरानों, तेंदूपत्ता ठेकेदारों व निर्माण कार्यों में लगे हुए अन्य ठेकेदारों से लेवी की वसूली करते है उनके इन्हीं सिद्धांतहीन कार्यों को उजागर करने वाले पत्रकार एवं गरीब आदिवासियों के समक्ष उनका चेहरा बेनकाब करने वाले समाजसेवी भाई-बहनों पर झूठे आरोप मढक़र उनके खिलाफ इस तरह के धमकी भरे पर्चे जारी किये जा रहे हैं। नक्सली संगठन में अंतिम पंक्ति में रहने वाले छोटे नक्सलियों को भी इस बात का आभास हो चुका है कि, नक्सलवाद का अब कोई भविष्य नहीं है।
प्रधानमंत्री मोदी व केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में वरिष्ठ सुरक्षा सलाहकार के. विजय कुमार लगातार बस्तर के अंदरूनी इलाकों का स्वयं दौरा करते हुए लगातार क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था एवं विकास कार्यों का जायजा लेने के साथ ही सुरक्षा बल के जवानों का मनोबल बढ़ाने को तत्पर रहते हैं। एवं बस्तर रेंज के आईजी पी. सुंदरराज व संभाग के अंतर्गत आने वाले सातों जिलों के पुलिस अधीक्षकों ने सफलतापूर्वक पुलिस विभाग द्वारा चलाए जा रहे लोन वर्राटू कार्यक्रम के अंतर्गत अनेक नक्सली हथियार छोडक़र समाज की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं और सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
मनीष पारख ने अपने बयान में आगे कहा है कि, नक्सलियों हालही ने अपना पर्चा जारी करते हुए स्वयं विकास का हिमायती बताया है और पत्रकारों व समाजसेवियों पर अर्नगल आरोप लगाये हैं। जबकि गरीबो की हत्या, लूटपाट, ठेकेदारों से लेवी की वसूली व इनके अनेक अनैतिक कृत्यों की वजह से बड़े नक्सली नेता भी भली-भांति जानते है कि उनके हिंसक आंतक के कारण जो आदिवासी उनका विरोध नहीं कर रहे या चुप हैं वे अब उनके खिलाफ झण्डा उठाने लग गए है। नक्सली अपने सिमटते दायरे को देखकर अब बौखलाते हुए ही पत्रकारों एवं समाजसेवियों को धमकी दे रहे हैं।