रायपुर

विशेषज्ञ चिकित्सकों की प्राइवेट प्रैक्टिस की खत्म हो सुविधा
20-Apr-2021 6:25 PM
विशेषज्ञ चिकित्सकों की प्राइवेट प्रैक्टिस की खत्म हो सुविधा

स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने कई सुझाव दिए, और मांग पत्र भी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 20 अप्रैल। चिकित्सकों की कमी को देखते हुए मेडिसीन विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सकों की प्राइवेट प्रैक्टिस की सुविधा को खत्म करने की मांग जोर शोर से उठ रही है। छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने कोरोना मरीजों को विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में इलाज का सुझाव दिया है। ताकि कोरोना मरीजों की मृत्युदर में कमी लाई जा सके। साथ ही माना कोविड अस्पताल को चिकित्सा शिक्षा संचालक के नियंत्रण में संचालित करने का सुझाव दिया है।

स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष ओपी शर्मा ने एक बयान में कहा कि कोरोना से प्रदेश के चिकित्सक, मैदानी स्तर पर तृतीय, चतुर्थ, संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी अपने परिवार से अलग रहकर जान जोखिम में डालकर कोरोना पीडि़त संक्रमित मरीजों की जांच, और इलाज में सहयोग कर कोरोना संक्रमित हो रहे हैं। कई कर्मचारियों को इलाज की सुविधा नहीं मिलने के कारण मृत्यु भी हो गई है।

शर्मा ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित होने कर्मचारी स्वस्थ होने के बाद तुरंत काम पर उपस्थित होने की स्थिति में नहीं  रह गए हैं। स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने सुझाव दिया है कि सभी चिकित्सा महाविद्यालय, चिकित्सालय, और जिला चिकित्सालय में कोरोना संक्रमित चिकित्सक, तृतीय, चतुर्थ श्रेणी, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के लिए 20 प्रतिशत सर्वसुविधा युक्त बिस्तर की व्यवस्था कर विशेषज्ञ चिकित्सक के देखरेख में इलाज की निशुल्क व्यवस्था किया जाए।

यह भी कहा गया है कि पूर्व की भांति 150 बेड माना चिकित्सालय को जहांं वेंटीलेटर की सुविधा है, को संचालक चिकित्सा शिक्षा के अधीन संचालित किया जाए। वर्तमान में वेंटीलेटर होने के बाद भी विशेषज्ञ चिकित्सा, कर्मचारी नहीं होने के कारण आम मरीज को लाभ नहीं मिल रहा है। शर्मा ने कहा कि मेडिकल कॉलेज, चिकित्सालय के मेडिसीन विभाग के विशेषज्ञों की कोरोना काल तक प्राइवेट प्रैक्टिस की सुविधा बंद कर सर्वसुविधा युक्त कोरोना चिकित्सालय में विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में इलाज की सुविधा कोरोना मरीज के लिए दी जाए।

शर्मा ने बताया कि अंबेडकर अस्पताल में जनवरी 2020 में लगभग सौ स्टॉफ और सौ अन्य पैरामेडिकल स्टॉफ, चतुर्थ श्रेणी का विज्ञापन जारी किया गया था, जिसे आज तक डॉ. विनीत जैन द्वारा नहीं भरा गया है, जबकि प्रतिदिन लगभग 5 प्रतिशत कर्मचारी कोरोना संक्रमित हो रहे है, जिसमें स्टॉफ की भारी कमी हो रही है, को तत्काल भरा जाए।

उन्होंने यह भी बताया कि कोरोना चिकित्सालयों में कार्यरत कर्मचारियों को उच्च गुणवत्ता वाले सामग्री प्रदाय किया जाए। कार्यरत कर्मचारियों के जानमाल के साथ खिलवाड़ कर घटिया सामग्री क्रय करने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की गई है। संगठन स्वास्थ्य कर्मचारियों की कोविड से होने वाली समस्या को अवगत कराने उच्चाधिकारियों से तालमेल बैठाने के लिए विशेष व्यवस्था की जानी चाहिए। कोरोना काल में मेकाहारा में ठेकेदार के द्वारा डॉ. विनीत जैन के कहने पर निकाले गए सौ सफाई कर्मचारियों को फिर से सेवा में लिया जाना चाहिए।

स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने मांग की है कि सिम्स बिलासपुर में परिविक्षा अवधि समाप्त करने के लिए शासन का ध्यान आकृष्ट करते हुए कालीपट्टी लगाकर कार्यरत तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की परिविक्षा अवधि समाप्त किया जाना चाहिए। संचालक चिकित्सा शिक्षा-संचालक स्व सेवाएं के अधीन कार्यरत अनेक स्टॉफ नर्सों की नर्सिंग कॉलेजों में संलग्न किया गया है, तत्काल उनको मूल कार्य करने हेतु मूल पदस्थापना स्थान के लिए कार्यमुक्त किया जाए व संलग्न करने वाले अधिकारी को निलंबित किया जाए। नर्सिंग कॉलेजों के ट्यूटर सहित समस्त स्टॉफ से कोविड अस्पताल में कार्य में लिए जाने की जरूरत है।

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