रायगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 23 मई। टीपाखोल जलाशय की नहरों से अतिक्रमण हटवाने और इसकी जमीन को 152 फीसदी राशि पर बेचने से रोकने के लिए भगवानपुर के किसानों ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है।
टीपाखोल जलाशय से निकली 46 साल पुरानी नहरें सिर्फ नक्शे पर रह गई हैं। बिल्डर और व्यवसायियों ने इस पर कब्जा कर लिया है। ढाई साल पहले प्रशासन ने राजस्व विभाग की टीम बनाकर इसकी जांच कराई थी। जांच में अतिक्रमण पाया गया था। अब किसानों को पता चला है कि भूमाफिया नहर को लुप्त और अनुपयोगी बताकर शासन की नजूल जमीन बिक्री की योजना का लाभ उठाकर इसे खरीदना चाहते हैं। इसके बाद कुछ किसानों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।
पत्र में कहा गया है कि 1974-75 में सिंचाई विभाग ने टीपाखोल डैम से 7 गांवों के किसानों की 900 हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचिंत करने के लिए खैरपुर से लेकर ढिमरापुर जगतपुर तक एक बड़ी (मेजर) और कुछ छोटी नहरें (माइनर) बनाई थीं। विभाग ने 11 हेक्टेयर कृषि भूमि अधिग्रहित की थी। नहर की लंबाई करीब 15 किमी थी, जो समय के साथ 5 किलोमीटर से भी कम हो गई है। तहसीलदार के नेतृत्व में 12 आरआई, पटवारियों की टीम को जांच का जिम्मा सौंपा था। नक्शे पर नहर है लेकिन जांच टीम को पार्क एवेन्यू कॉलोनी और कृष्णा विहार के पास नहर पर कब्जा मिला था। ढिमरापुर के आगे नहर की जमीन पर शोरूम संचालकों का भी अतिक्रमण मिला था। बिल्डर और कब्जाधारियों से दस्तावेज मांगे गए लेकिन कुछ दिनों के बाद जांच और कार्रवाई ठंडे बस्ते में चली गई। अब शासन ने एक योजना शुरू की है जिसके तहत नजूल यानि सरकारी जमीन की नीलामी और बेजा कब्जे वाले जमीन को 152 प्रतिशत राशि पर बेचा जा रहा है। टीपाखोल नहर के अतिक्रमणकारी इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं। इसकी भनक लगने के बाद ही किसानों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से अतिक्रमण हटाने और किसी भी तरह की बिक्री पर रोक लगाने के लिए गुहार लगाई है। मामले में कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल तथा कलेक्टर को पत्र की प्रतिलिपि दी गई है।
इन किसानों ने की मांग
भगवानपुर निवासी किसानों में भोजराम पटेल,पदुम लाल चौहान,बलराम पटेल, भानुप्रताप पटेल, नंदलाल यादव,जयचारण पटेल,रावेश सिदार, प्रेमशंकर पटेल,खगेश्वर नागवंशी और सनातन सारथी आदि ने संयुक्त रूप से हस्ताक्षर कर पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भेजा है। किसानों ने बताया कि अभी फिलहाल दो गांव के किसान ही नहरों से पानी ले पा रहे हैं। जबकि पहले इसी नहर से खैरपुर, पतरापाली, सराईपाली, गोरखा, भगवानपुर, जगतपुर और कलमी के किसान रबी व खरीफ दोनों सीजन में धान का उत्पादन इस नहर की पानी से करते थे।