बस्तर

3 साल पहले गोंचा में तुपकी बचते नहीं थे, अब खरीददार ही नहीं आ रहे हैं
12-Jul-2021 1:33 PM
3 साल पहले गोंचा में तुपकी बचते नहीं थे, अब खरीददार ही नहीं आ रहे हैं

 कोरोना ने तोड़ी उम्मीद, नहीं पहुंचे ज्यादा ग्रामीण  
नरेश देवांगन 
जगदलपुर, 12 जुलाई ('छत्तीसगढ़' संवाददाता)। सोमवार को गोंचा पर्व पर कोरोना के चलते बस्तर क्षेत्र के साथ ही अंचलों से आये तुपकी बेचने वालों में काफी निराशा देखने को मिली।

 तुपकी बेचने वालों का कहना था कि पहले ही लॉकडाउन ने कमर तोड़ रखी थी, उस पर कोरोना के चलते तुपकी की बिक्री भी काफी कम हो रही है, जिससे घर के लिए जो थोड़ी बहुत मदद वर्ष भर के लिए इस दिन से खर्च निकलता था, वो भी अब मुश्किल हो गया है। 
तुपकी बेचने छोटे मुरमा से आये देवेंद्र ने बताया कि तुपकी बनाने में 15 दिन लगते हैं, उसमें भी पूरे परिवार के लोग रात दिन मेहनत करते हैं, जिसके बाद इसका निर्माण किया जाता है, लेकिन इतनी मेहनत के बाद भी लोग साल भर के इस दिन में 50 रुपये की तुपकी खरीदने के लिए भी आनाकानी करते हंै, 3 साल पहले गोंचा में तुपकी बचते नहीं थे, और हालात ये हो गए है कि अब खरीददार ही नहीं आ रहे हैं।

 इसके अलावा बड़े मुरमा के मनोज का कहना है कि ग्रामीणों को अभी भी लॉकडाउन का डर है, जिसके चलते बहुत ही कम लोग अपने हाथों से बनाये तुपकी को बेचने शहर आये हैं, कोरोना के डर के चलते भीड़ जमा न हो और शासन-प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई न कर दे, इसके डर से अन्य लोग भी नहीं आये हैं, दिनभर मेहनत के बाद भी बनाये गए तुपकी की सही कीमत नहीं मिल पाई है।

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