बस्तर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 15 जुलाई। जिला मुख्यालय से 11 किमी पर स्थित मेडिकल कॉलेज डिमरापाल में मरीजों के परिजनों के साथ ही यहां के स्टाफ को सुलभ शौचालय न होने से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। परिजनों को इसके लिए भी 11 किमी का सफर तय करना पड़ रहा है, कई बार इस मामले को लेकर अधिकारियों से शिकायत की गई, लेकिन केवल आश्वासन पर ही बातें 3 वर्षों से चल रही है।
बताया जा रहा है कि साढ़े तीन सौ करोड़ की लागत से 2018 में मेकाज का निर्माण किया गया था। पर आज मेकाज में भर्ती होने वाले मरीजों के परिजनों को सुलभ शौचालय न होने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
बीजापुर से इलाज कराने आये मरीज ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि यहां वे अपनी पत्नी को भर्ती किया है, जिसे सांस लेने में काफी दिक्कत हो रही है, वहीं अस्पताल का बाथरूम इतना गंदा रहता है कि यहां नाक में कपड़ा डाल कर जाना पड़ता है, वहीं जगदलपुर निवासी का कहना है कि मेकाज के अंदर या बाहर सुलभ शौचालय न होने के कारण जगदलपुर तक जाना मजबूरी है, यूरिन के लिए तो कहीं भी जा सकते है, लेकिन फे्रश होने के लिए आसपास कही भी सुलभ शौचालय न होने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा मेकाज के अंदर बना चौकी में तैनात जवानों को भी नित्यक्रिया के लिए या तो वार्डों में जाना पड़ता है या फिर मेकाज के पास अपने किराए के मकान में जाना पड़ता है। इन परिस्थितियों में न केवल युवकों को परेशानी का सामना करना पड़ता हंै, बल्कि महिला, युवतियों, बालिका आदि को इन सभी से गुजरना पड़ता है।
डिमरापाल चौकी प्रभारी नेपाल गांगुली ने बताया कि स्टाफ के लिए अलग से शौचालय नहीं है। एमआईडी शाखा में हम लोगों को जाना पड़ता है। शौचालय न होने के कारण काफी दिक्कत तो होता है लेकिन क्या करें, मजबूरी है नौकरी है तो करना पड़ेगा। इस समस्या के लिए मैंने आजाद सर से कई बार कहा, लेकिन आज तक नहीं बन पाया।
डिमरापाल मेडिकल कॉलेज अधीक्षक के एल आजाद का कहना है कि मेरे द्वारा कलेक्टर साहब को लिखित में आवेदन दिया गया है। शौचालय तालाब के पास बनाने का सोच रहे हैं, अभी तक शौचालय स्वीकृत नहीं हुआ है। जब स्वीकृत होगा, तब बनाया जाएगा।