रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 29 जुलाई। गले, मुंह और या चेहरे की संरचना में कमियों को दूर करने के लिए की जाने वाली मैक्सीलोफेशियल सर्जरी के संबंध में युवा चिकित्सकों को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से एम्स में एक दिवसीय सीएमई आयोजित की गई। इसमें प्रमुख रूप से छोटे बच्चों के मुंह की विकृतियों और इससे सांस लेने में हो रही दिक्कतों को दूर करने के लिए आवश्यक सर्जिकल मैनेजमेंट के बारे में उपयोगी जानकारियां दी गई।
दंत चिकित्सा विभाग के तत्वावधान में आयोजित चैलेंजिंग होराइजन्स इन मैक्सीलोफेशियल सर्जरी विषयक सीएमई के प्रमुख वक्ता लेडी हार्डिंग्स मेडिकल कालेज के विभागाध्यक्ष प्रो. प्रवेश मेहरा का कहना था कि छोटे बच्चों में इस प्रकार की सर्जरी के लिए पर्याप्त गाइडलाइंस उपलब्ध हैं जिनका पालन करते हुए छोटे बच्चों की मुख संबंधी विकृतियों को दूर किया जा सकता है। इसमें अन्य विभागों की भी मदद लेने की आवश्यकता पड़ सकती है जिसमें एनेस्थिसिया, ईएनटी, प्लास्टिक सर्जरी जैसे विभाग भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों की गंभीर विकृतियों को जन्म लेने के बाद जल्द से जल्द ठीक करने से उन्हें सांस लेने में होने वाली दिक्कतों से निजात दिलाई जा सकती है साथ ही बड़े होने तक सर्जरी के निशान भी ठीक हो जाते हैं।
निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर ने एम्स में म्यूकरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) के मेडिकल और सर्जिकल मैनेजमेंट के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि विभिन्न विभागों के समन्वित प्रयासों से एम्स में भर्ती हुए लगभग 250 रोगियों में से 186 की सफलतापूर्वक सर्जरी की जा सकी है।
इसमें एनेस्थिसिया, एंडोक्राइनोलॉजी, जनरल फिजिशियन, नेफ्रोलॉजी, कॉर्डियोलॉजिस्ट सहित विभिन्न विभागों के चिकित्सकों की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही।
इससे पूर्व डीन प्रो. एस.पी. धनेरिया ने आशा व्यक्त की कि प्रमुख चिकित्सकों के व्याख्यानों से सीएमई में शामिल चिकित्सकों को काफी मदद मिलेगी। विभागाध्यक्ष डॉ. विराट गल्होत्रा ने बताया कि इसमें 125 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। जिपमर, चंडीगढ़ के डॉ. सचिन राय और एम्स के डॉ. संतोष राव ने भी विभिन्न विषयों पर व्याख्यान प्रस्तुत किए। इस अवसर पर प्रो. आलोक अग्रवाल, प्रो. सरिता अग्रवाल और प्रो. एन.के. अग्रवाल ने साइंटिफिक सेशन की अध्यक्षता की। डॉ. नकुल उप्पल ने अंत में धन्यवाद प्रस्तुत किया।