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एनआईटी रायपुर में तीसरा रिसर्च कॉन्क्लेव शुरू
रायपुर, 25 जून। एनआईटी रायपुर में मंगलवार को तीन दिवसीय तीसरे रिसर्च स्कॉलर कॉन्क्लेव शुरू हुआ। एनआईटी के निदेशक डॉ. एन. वी. रमना राव मुख्य अतिथि, डीन (एकेडमिक्स) डॉ. श्रीश वर्मा और डीन (रिसर्च एंड कंसल्टेंसी) डॉ. प्रभात दीवान अध्यक्ष रहे। डॉ. अनामिका यादव, डॉ. जे. आनंदकुमार, डॉ. मानवेंद्र के. त्रिपाठी, डॉ. अवनीश कुमार और डॉ. तीरथ प्रसाद साहू आयोजन सचिव रहे । कार्यक्रम में रजिस्ट्रार डॉ. पी. वाई. ढेकने, डीन (संकाय कल्याण) डॉ. डी. सान्याल, प्रमुख, सीडीसी, डॉ. समीर बाजपेयी, विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य और स्कोलर्स उपस्थित रहे।
डॉ. अनामिका यादव ने आयोजन के पीछे लगे परस्पर प्रयासों पर प्रकाश डाला। डॉ. प्रभात दीवान ने बताया कि इस बार 246 एबस्ट्रेक्ट प्रस्तुत किए गए हैं, जिनमें से प्रत्येक सम्मेलन के लिए निर्धारित उच्च मानकों को पूरा करता है। उद्घाटन सत्र का समापन डॉ. जे. आनंदकुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
"शोध प्रकाशन और नैतिकता" पर मुख्य व्याख्यान में डॉ. राव ने स्कोपस-इंडेक्स्ड जर्नल में लेखन और प्रकाशन की बारीकियों पर विस्तार से चर्चा की । उन्होंने शोध के नियमों और इस दौरान होने वाली गलतियों पर चर्चा की और साथ ही इन गलतियों से बचने के तरीके पर सलाह दी। उन्होंने कहा कि प्लेगेरिज्म अर्थात दुसरो का कंटेंट कॉपी न करना और गलत डाटा नहीं लेना चाहिए साथ ही डाटा को तोड़ मरोड़ कर प्रयोग में नहीं लाना चाहिए | डॉ. राव ने शोध और प्रकाशन में नैतिक मानकों का पालन करने के महत्व को भी समझाया। उन्होंने स्कोपस-इंडेक्स्ड जर्नल की अवधारणा , शोध की गुणवत्ता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने में उनकी भूमिका पर जोर दिया।
इसके बाद केमिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. धर्मपाल ने शोध में नैतिकता के महत्व पर चर्चा की और डेटा फैब्रिकेशन, प्लैग्रिज्म और अनुचित लेखन जैसे मुद्दों पर प्रकाश डाला। डॉ. पाल ने अकादमिक लेखन कौशल को भी संबोधित किया, जिसमें पैराफ्रेसिंग, सारांश लेखन और क्वोटिंग जैसी तकनीकों पर जोर दिया गया। 27 जून को समापन होगा।