राजनांदगांव

पौष्टिक भोजन से हेपेटाइटिस बीमारी से रहें दूर, आयुर्वेद में लीवर के उपचार के लिए दवाईयों की दी जानकरी
31-Jul-2021 6:40 PM
पौष्टिक भोजन से हेपेटाइटिस बीमारी से रहें दूर, आयुर्वेद में लीवर के उपचार के लिए दवाईयों की दी जानकरी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

राजनांदगांव, 31 जुलाई। विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर आयुष पॉलीक्लीनिक राजनांदगांव प्रभारी डॉ. प्रज्ञा सक्सेना द्वारा जागरूकता अभियान के अंतर्गत लोगों को पोस्टर, पाम्प्लेट, सेल्फी, व्याख्यान आदि के माध्यम से इस बीमारी के बारे में जागरूक किया गया।

कार्यक्रम में डॉ. प्रज्ञा सक्सेना ने कहा कि हेपेटाइटिस लीवर की एक गंभीर बीमारी है। हेपेटाइटिस एक ऐसी बीमारी है। जिसमें लीवर में सूजन आ जाती है। जिससे लीवर का कार्य प्रभावित होता है। लीवर हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। ये भोजन के पाचन के साथ-साथ खून के टॉक्सिन्स को साफ करने में भूमिका निभाता है। हेपेटाइटिस कई वजहों से हो सकता है, जैसे वायरस संक्रमण, अत्यधिक शराब सेवन, नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लीवर, ऑटोइम्यून बीमारी, दवाओं के अनुचित सेवन से होता है। वायरस के पांच स्ट्रेन के आधार पर हेपेटाइटिस पांच ए, बी, सी, डी व ई प्रकार का होता है। उन्होंने कहा कि स्वस्थ जीवन शैली के साथ ही लीवर को स्वस्थ रखने के लिए सुपाच्य व पौष्टिक भोजन लें। भोजन में अंगूर, केला, ओट्स, सेव, खजूर, कॉफी, ग्रीन-टी को शामिल करें। मसालेदार तली-भुनी चीजों का प्रयोग न करें। नशीले पदार्थो व अत्यधिक शराब का सेवन न करें। आयुर्वेद में पंचकर्म चिकित्सा व एकल औषधियां कालमेघ, नागरमोथा, दारूहरिद्रा, कटुकी, भुईआंवला, पुनर्नवा लीवर को स्वस्थ रखने में सहायक है।

डॉ. सक्सेना ने बताया कि 15 दिन से 2 महीने में प्रकट होते हैं। पेट में दर्द, कमजोरी जी मिचलाना, भूख न लगना, हल्का बुखार, पीलिया, पेशाब का पीला होना, त्वचा व आंखों के सफेद भाग का पीला हो जाना, त्वचा में खुजली होती है। यह संक्रमित (दूषित) पानी पीने व दूषित खाने से होता है। साफ-सफाई के अभाव, गंदे हाथों से खाने से ये फैलता है। मानसून के समय इसका संक्रमण तेजी से फैलता है। बचाव के लिए अपने आसपास की सफाई रखकर, स्वच्छ भोजन व पीने के पानी का प्रयोग, खाने से पूर्व हाथों को धोकर इस बीमारी से बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि बचाव के लिए रक्तदान से पूर्व हेपेटाइटिस बी व सी की जांच अवश्य कराएं। गर्भवती माताएं हेपेटाइटिस बी की जांच अवश्य कराएं। नवजात शिशुओं की तीनों चरण में हेपेटाइटिस बी का टीका अवश्य लगाएं। संक्रमित व्यक्ति के घाव को खुला न छोड़े। संक्रमित व्यक्ति की इस्तेमाल चीजें रेजर, कैंची, टॉवेल, कपड़े अलग रखें एवं परिवार के अन्य सदस्य हेपेटाइटिस बी का टीका अवश्य लगाएं। लक्षण उपस्थित होने पर समय पर जांच व उपचार कराएं। हेपेटाइटिस सी का टीका उपलब्ध नहीं है तो बचाव के तरीकों को अपनाएं व समय पर उपचार लें। कार्यक्रम में डॉ. स्नेह गुप्ता, डॉ. भारती यादव ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में हेमलता बड़ा, अनुसुईया साहू, फुलेश्वर, दामिनी, शैल, सुनीता देवांगन, किरण ने अपना सहयोग प्रदान किया। कार्यक्रम में कोविड-19 अनुकूल नियमों का पालन किया गया।

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