महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 3 अगस्त। सावन के दूसरे सोमवार पर शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखने को मिली। कोराना के तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए क्षेत्र की बम्हनी से सिरपुर के लिए होने वाली प्रसिद्ध कांवर यात्रा आयोजित नहीं की जा रही है, लेकिन शिव भक्त अपनी सुविधानुसार व स्वयं की व्यवस्था में टुकडिय़ों में कांवर यात्रा कर रहे हंै। सिरपुर के गंधेश्वर मंदिर में करीब 100 कांवरियों ने जलाभिषेक किया, वहीं श्रद्धालु भी दिन भर दर्शन करने पहुंचते रहे।
गंधेश्वर नाथ ट्रस्ट कमेटी के अध्यक्ष दाऊलाल चंद्राकर ने बताया कि कोरोना गाइडलाइन के अनुसार मंदिर में दर्शनार्थियों की व्यवस्था की गई है। गर्भगृह में प्रवेश प्रतिबंधित है। जलाभिषेक के लिए बाहर में जलपात्र में पाईप लगाकर व्यवस्था की गई है। सीमित मात्रा में दर्शन करने श्रद्धालु पहुंच रहे हंै। यहां प्रतिदिन दोपहर में श्रावणी पूजा श्रृंगार आरती किया जा रहा है।
इसी तरह बम्हनी स्थित बम्हनेश्वर महादेव में भी दर्शन करने दिन भर श्रद्धालु पहुंचते रहे। श्रावणी पूजा के जजमान होरीलाल पांडेय ने बताया कि दूसरे सावन सोमवार को बम्हनेश्वर महादेव का सवा सात लीटर दूध से दूग्धाभिषेक किया गया। यहां श्रावणी पूजा आचार्य धनेश्वर तिवारी चारभाठा वाले द्वारा कराई जा रही है।
सोमवार को अभिषेक में मंदिर पुजारी कीर्तनदास वैष्णव, गिरधर अग्रवाल बागबाहरा, डा. विकास अग्रवाल राजनांदगांव, डॉ.संतोष अग्रवाल आरंग, सुखीराम साहू बम्हनी, गोपाल साहू, सूर्यमणी साहू, योगेश्वर दास वैष्णव शामिल हुए। नगर सहित दलदली, चंडी मंदिर समेत खरोरा स्थित स्वयं.भू शिव लिंग के दर्शन करने भी लोग पहुंचते रहे। संसदीय सचिव विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने राम मंदिर स्थित शिव मंदिर में शिवाभिषेक किया। वहीं बीज निगम के अध्यक्ष अग्रि चंद्राकर ने कनेकेरा स्थित कनेश्वर मदादेव में दर्शन व शिव पूजन किया।
कल ऐतिहासिक सिरपुर के गंधेश्वर महादेव में भगवान गंधेश्वर महादेव को दोपहर जलाभिषेक के बाद फूलों से श्रृंगार किया गया है। सावन के दूसरे सोमवार को श्रद्धालुगण व कांवर यात्री जलाभिषेक के लिए गंधेश्वर मंदिर सिरपुर पहुंचे थे,जहां कोविड गाइडलाइन के साथ दर्शन कराया गया और जलाभिषेक कराया गया।
मालूम हो कि इस मंदिर में प्रत्येक सावन सोमवार को अल सुबह चार बजे से जलाभिषेक के लिए कतार लगी रहती थी, जो दोपहर तीन बजे तक होती थी। यानी 10 हजार से अधिक श्रद्धालुगण जलाभिषेक के लिए मंदिर पहुंचते थे। सावन के तीसरे व चौथे सोमवार को करीब 15 से 20 हजार श्रद्धालुगण मंदिर में जलाभिषेक के लिए पहुंचते थे लेकिन पिछले दो सालों से मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की संख्या एकदम कम हो गई है।