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महासमुंद में अब धीमे हो रहे भाजपा के 400 सीट पार का नारा, कांग्रेस के हालात बदलते दिख रहे, मतदाता खामोश
23-Apr-2024 1:51 PM
महासमुंद में अब धीमे हो रहे भाजपा के 400 सीट पार का नारा, कांग्रेस के हालात बदलते दिख रहे, मतदाता खामोश

 अब तक कांग्रेस का कोई भी स्टार प्रचारक नहीं पहुंचा , सीएम की अब तक कई चुनावी सभाएं  
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
महासमुंद, 23 अप्रैल।
महासमुंद लोकसभा में अब भाजपा के 400 सीट पार का नारा धीमे होने लगा है। हालांकि महासमुंद जिले में मुख्यमंत्री की कई चुनावी सभाएं हुई हैं। चुनावी शोर के पहले दौर में भाजपा अकेले प्रधानमंत्री मोदी के नाम से चुनाव प्रचार करते रहे, लेकिन अब वे भी प्रत्याशी के नाम से चुुनाव का प्रचार कर रहे हैं। 

कांग्रेस है कि शुरू से अपने प्रत्याशी के  नाम पर वोट मांग रही है। महासमुंद मुख्यालय में अब तक कांग्रेस का कोई भी स्टार प्रचारक नहीं पहुंचा है। मतदान की तिथि बिल्कुल करीब है और भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में हलचल बढ़ गई है।

 कांग्रेस ने भी भाजपा की तरह ही सभी विकासखंड मुख्यालयों में चुनाव कार्यालय खोला है, जहां से कार्यकर्ता प्रचार में निकल रहे हैं। महासमुंद के सभी चार विधानसभा में भाजपा में बड़ी संख्या में कांग्रेसियों के प्रवेश हुआ है और वे ही भाजपा का कमान थामें हुए हैं। रनिंग पार्टी होने के बाद भी भाजपा के चुनाव कार्यालयों में पहले की तरह रौनक नहीं दिख रही है।

जिले के गांवों और शहरों में भाजपा का 400 सीटें पार करने का नारा अब धीरे-धीरे मंदा हो रहा है। चुनाव के करीब आते-आते भाजपा अब प्रत्याशी पर अधिक फोकस करने लगी है। टिकट आबंटन के तत्काल बाद जिस तरह मोदी के नाम को उछाला गया था, उससे यह तय लग रहा था कि चुनाव पूरी तरह मोदी के चेहरे पर ही लड़ा जाएगा। सोशल मीडिया में दाोनों ही दलों की खबरें बराबर पोस्ट हो रही हैं।  जिन्हें भाजपा प्रवेश किए अभी माह भर भी नहीं हुआ है, वे बहुत आक्रामक ढंग से प्रचार कर रहे हैं, जबकि भाजपा के स्थापित कार्यकर्ता प्रचार में कम ही दिखाई दे रहे हैं। जिले में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अब तक कई चुनावी सभाएं हो चुकी हैं। लेकिन कांग्रेस के किसी बड़े नेता की अब तक चुनावी सभा नहीं हुई है। 

जिले में कहीं-कहीं कांग्रेस के चुनाव कार्यालयों में अप्रत्याशित भीड़ दिखाई दे रही है, जिससे कांग्रेस नेताओं का मनोबल विधानसभा चुनाव से अधिक दिखाई दे रहा है। इस लोकसभा चुनाव में भाजपा द्वारा विधानसभा चुनाव में अपनाई गई रणनीति को कांग्रेस अपना रही है। लिहाजा भाजपा की विधानसभा में विजय मंत्र महतारी वंदन योजना की तरह कांग्रेस महालक्ष्मी नारी न्याय योजना का जमकर प्रचार-प्रसार कर रही है। कहा जा रहा है कि यदि विधानसभा चुनाव की तरह प्रदेश की महिलाओं ने कांग्रेस की न्याय योजना पर भरोसा कर लिया, तो इसका भारी नुकसान भाजपा को झेलना पड़ सकता है।

महासमुंद लोकसभा में इससे पहले के चुनावों में जातिवाद का मुद्दा हावी रहा लेकिन इस बार मात्र मोदी ही मुख्य मुद्दा रहा। इसे  भाजपा प्रत्याशी की जीत की गारंटी के रूप मे देखा जा रहा था। शायद इसलिए भाजपा ने जातिवाद से दूर एक स्वच्छ छवि की नेत्री रूपकुमारी चौधरी को अपना प्रत्याशी घोषित किया। लेकिन कांग्रेस की ओर से साहू बहुल लोकसभा को देखते हुए साहू समाज से कांग्रेस के कद्दावर नेता ताम्रध्वज साहू को मैदान में उतारा गया है। 

साहू प्रत्याशी होने के कारण इस लोकसभा में हालात बदलते दिख रहे हैं। चौक-चौराहों पर हर रोज राजनीति की परख रखने वाले कहते फिर रहे हैं कि कांग्रेस से साहू प्रत्याशी होने के कारण अब इस बार पुन: जातिवाद का मुद्दा हावी होने लगा है। इस पूूरे झमेले में मतदाता खामोश हैं।  

इस बार महासमुंद लोकसभा में मतदाताओं की खामोशी आश्चर्यजनक है। दोनों ही दलों के जमीनी कार्यकर्ताओं ने अभी तक मतदाताा पर्ची बांटने का काम पूरा नहीं किया है। इस संसदीय क्षेत्र में मतदान को अब केवल 3 दिन शेष रह गए हैं, लेकिन शहर सहित ग्रामीण इलाकों में अब तक मतदाता पर्ची का वितरण कार्य पूरा नहीं हो सका है। जमीनी कार्यकर्ताओं का टोटा भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों में स्पष्ट तौर पर नजर आ रहा है। यहां कांग्रेस के बूथ लेवल पर मैनेजमेंट को लेकर फंड के अभाव की बात सामने आ रही है, वहीं भाजपा में विधानसभा चुनाव के बाद कार्यकर्ता स्वयं को ठगा सा महसूस करते हुए अपने से चुप बैठ गये हैं। 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस में जिन पदाधिकारियों को बूथ लेवल में अपने बाड़ों और क्षेत्रों को संभालने की जवाबदारी दी गई है, वहां उन्हें खर्च के नाम पर स्वयं मैनेज करने निर्देशित किया गया है।
 

इस मामले में डॉ. रश्मि चंद्राकर का कहना है कि पर्ची बांटने की गति में तत्काल सुधार होगा। वैसे मतदात पर्ची वतरण कार्य लगातार जारी है। भाजपा महामंत्री प्रदीप चंद्राकर ने कहा कि हम कल 24 तारीख तक पर्ची बांटने का काम पूरा कर लेंगे। हमारा 90 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है। 

बहरहाल कांग्रेस अपने मेनीफेस्टों और एक समाज के वोटों के धुवीकरण की प्रत्याशा में चुनाव में जीत का दावा कर रही है, वहीं भाजपा को मोदी पर भरोसा है। वर्तमान में भाजपा और कांग्रेस दोनों की स्थिति मुकाबले में बराबरी पर है। दोनों ही दल अपने नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने जुटे हुए हैं।


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