राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गंडई , 21 अगस्त। बीती रात लगभग एक बजे ग्राम पंचायत चकनार के एक रिटायर्ड टीचर बंशीलाल जंघेल के घर में ब्रह्म कमल का 4 फूल खिला। ग्राम के कुछ लोग उक्त नजारे को देखने के लिए देर रात तक जागते रहे।
ज्ञात हो कि ब्रह्म कमल एक विशेष पुष्प है, जो सभी जगह नहीं मिलता है। उत्तराखंड में इसे कौल पद्म नाम से जानते हैं। उत्तराखंड में ब्रह्म कमल की 24 प्रजातियां मिलती हैं। पूरे विश्व में इसकी 210 प्रजातियां पाई जाती है। ब्रह्म कमल के खिलने का समय जुलाई से सितंबर है। उत्तराखंड की फूलों की घाटी में केदारनाथ में पिंडारी ग्लेशियर में यह पुष्प बहुतायत पाया जाता है। इस पुष्प का वर्णन वेदों में भी मिलता है। महाभारत के वन पर्व में इसे सौगंधिक पुष्प कहा गया है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार इस पुष्प को केदारनाथ स्थित भगवान शिव को अर्पित करने के बाद विशेष प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। ब्रह्म कमल के पौधों की ऊंचाई 70 से 80 सेंटीमीटर होती है। यह केवल साल में एक बार खिलता है। सफेद रंग का इसका पुष्प टहनियों में ही नहीं, बल्कि पत्तियों से निकले कमल पात के पुष्पगुच्छ के रूप में खिलता है, जिस समय यह पुष्प खिलता है, उस समय वहां का वातावरण सुगंधित से भर जाता है। मान्यता है कि फूल खिलते वक्त मनोकामना मांगने से वह अवश्य ही मिलता है।
रिटायर्ड शिक्षक बंशीलाल जंघेल बताते हैं कि ब्रह्म कमल के पौधे को ढूंढने में उन्हें 14 साल लगा। एक चंदन नाम के लडक़े ने बोरसी भिलाई दुर्ग से लाकर मुझे दिया। पौधे को लगाने के बाद में 4 सालों तक पूरे मनोयोग के साथ सेवा किया हूं। उक्त पौधा लगभग 11 साल से मेरे घर में लगा हुआ है। पिछले सात साल से ये ब्रम्ह कमल पुष्प खिल रहा है, जो भी इस पुष्प से मन्नत मांगता है पूरी होता है। ये पुष्प केदारनाथ, बद्रीनाथ और नंदादेवी में चढ़ता है, वहां इसके 1 पुष्प को 5 हजार रुपए तक में खरीद कर भक्त अर्पित करते हैं।