रायगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 17 सितंबर। घरघोड़ा विकासखंड के बरौद में एसईसीएल द्वारा स्थापित खदान के कारण विस्थापित हुए करीब डेढ़ सौ परिवार एक लंबे अर्से से पुनस्र्थापन की बाट जोह रहे हैं। आरोप है कि सांसद और विधायक की अनुशंसा के बावजूद वन विभाग के लापरवाही के कारण अब तक उनका पुनर्विस्थापन नहीं हो सका है। जिसके कारण प्रभावित परिवार के लोग काफी परेशान हैं।
विकासखंड घरघोड़ा अंतर्गत बरौद गांव के भू-विस्थापित ग्रामीण परिवार उस स्थल पर विस्थापन की मांग लंबे समय से करते आ रहे हैं, जहां कभी उनके पूर्वज खेती-किसानी का काम करते थे। निस्तारी जंगल के नाम से जाने जाने वाले छोटे झाड़ के जंगल कक्ष क्र. 1286 से प्रभावित डेढ़ सौ से अधिक परिवार लंबे समय से वन भूमि पर काबिज हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग के प्रोजेक्ट फारेस्ट वन भूमि को हमारे द्वारा कब्जा किया गया है। जिसे प्रक्रिया में लिया जाए, मगर वन विभाग कार्रवाई में लगातार लापरवाही बरत रहा है। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि क्षेत्र के सांसद और विधायक की अनुशंसा के बावजूद वन विभाग के अधिकारी उनकी फाईल को दबा कर बैठे हुए हैं। जिसके कारण डेढ़ सौ से अधिक विस्थापित परिवार लंबे अर्से से कार्रवाई की बाट जोहते आ रहे हैं।