कोण्डागांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 17 अक्टूबर। विजयादशमी के अवसर पर अस्त्र-शस्त्र पूजने की प्रथा वर्षों से चली आ रही है। इस प्रथा के अनुसार कोण्डागांव के नया पुलिस लाईन स्थित कोर्ट (शस्त्रग्रह) पर अस्त्र-शस्त्र की पूजा अर्चना की गई। यहां पुलिस अधीक्षक सिद्वार्थ तिवारी ने शस्त्र पूजा करते हुए वैदिक मंत्रों के बीच विजय कामना की।
पुलिस लाईन में ही आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयादशमी मनाई जाती है। इस दिन देवी अपराजिता की पूजा की जाती है। इस पूजा में मां रणचंडी के साथ रहने वाली योगनियों जया और विजया को पूजा जाता है। इनकी पूजा में अस्त्र-शस्त्रों को सामने रखकर पूजा करने की परंपरा रामायण और महाभारत काल से चली आ रही है। इसी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए कोण्डागांव पुलिस अधीक्षक सिद्वार्थ तिवारी उपपुलिस अध्यक्ष राहुल देव शर्मा एंव पुलिस लाइन प्रभारी आर आई रमेश चंद्रा सभी विग के स्टाफ 15 अक्टूबर को विजयादशमी के दिन नया पुलिस लाईन में अस्त्र-शस्त्र की पूजा कि।
प्राचीनकाल से चली आ रही है शस्त्र पूजा की परंपरा
दशहरे के दिन शस्त्र पूजा करने की परंपरा आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से चली आ रही है। प्राचीन समय में राजा अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए इस दिन शस्त्र पूजा किया करते थे। साथ ही अपने शत्रुओं से लडऩे के लिए शस्त्रों का चुनाव भी किया करते थे।
स्थानीय पंडितों के अनुसार, शस्त्र पूजा के शस्त्रों को इक_ा किया जाता है फिर उनपर गंगाजल छिडक़ा जाता है। इसके बाद सभी शस्त्रों को हल्दी व कुमकुम का तिलक लगाकर फूल अर्पित किए जाते हैं। शस्त्र पूजा में शमी के पत्ते का बहुत महत्व है। शमी के पत्तों को शस्त्रों पर चढ़ाकर उनकी पूजा की जाती है। शस्त्र पूजा में नाबिलग बच्चों को शामिल नहीं किया जाता है क्योंकि बच्चों को किसी भी तरह का प्रोत्साहन ना मिले। पुजा पश्चात हवाई फायर कर सलामी दी जाती है।