महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 25 अक्टूबर। धान की फसलों की कटाई के बाद सब्जी की खेती करने वाले किसानों के लिए अच्छी खबर है कि उद्यानिकी विभाग इन किसानों के लिए उन्नत किस्म का थरहा (पौधा) तैयार करने वाली है। ये थरहा रोग मुक्त होगा। इससे किसानों को फायदा होगा। यह थरहा मशीन के माध्यम से कोको पीट में तैयार किया जाएगा।
सबसे बड़ी राहत की बात यह है कि किसानों को थरहा ले जाने का झंझट नहीं है। विभाग किसानों के घर तक थरहा पहुंचाकर केवल 80 पैसे में उपलब्ध कराएगी, लेकिन इसके लिए किसानों को स्वयं का बीज लाना होगा। वैसे थरहा तैयार करने का काम शुरू भी हो चुका है, जो किसान बीज लेकर आएंगे उसका थरहा जल्द ही तैयार किया जाएगा। बताया जा रहा है कि कुछ किसान बीज लाकर उद्यानिकी विभाग को दे रहे हैं। मशीन के माध्यम से रोग मुक्त थरहा तैयार हो रहा है।
उद्यानिकी विभाग के अधिकारी एसके वर्मा ने बताया कि मिनीप्लग टाइप वेजीटेबल सीडलिंग यूनिट शासकीय उद्यान रोपणी बम्हनी में स्थापित है। इससे उच्च गुणवत्तायुक्त सब्जी पौधों का थरहा तैयार किया जाता है। उक्त यूनिट में थरहा तैयार किए जाने के लिए सब्जी में 90-95 प्रतिशत तक का अंकुरण होता है। सब्जी के थरहा जल्द ही तैयार हो जाते हैं। यहां विभिन्न प्रकार के सब्जियों का थरहा तैयार किया जा रहा है। जिले में 1 हजार हेक्टेयर में सब्जियों की खेती किसान करते हैं। इधर, सब्जियों की खेती को बढ़ाना देने के लिए विभाग किसानों से अपील कर रहा है कि बीज देकर थरहा तैयार कराएं और खेती करें। यदि स्वयं बीज लेकर खेती करेंगे तो उसमें 50 से 60 प्रतिशत तक ही फायदा होगा, लेकिन मशीन के माध्यम से बने थरहे का उपयोग करने पर 90 से 95 प्रतिशत तक फायदा मिलेगा।
एसके वर्मा ने बताया कि मिनीप्लग टाइप वेजीटेबल सीडलिंग यूनिट से महज 8 से 10 दिन में ही पौधा तैयार हो जाएगा। वहीं यदि सामान्य रूप से खेतों में थरहा लगाया जाए तो इसमें 15 से 20 दिन में पौधे तैयार हो पाते हैं। यही नहीं मशीन के जरिए नुकसान कम होता है, जबकि सामान्य रूप से थरहा लगाने पर बहुत से पौधे या तो खराब हो जाते हैं या फिर अंकुरित नहीं हो पाते। जमीन पर थरहा लगाने से सिर्फ 65 प्रतिशत सफलता
उद्यानिकी विभाग की मानें तो जमीन में थरहा तैयार करने में 60 से 65 प्रतिशत ही पौधा तैयार होता है। 30 से 35 प्रतिशत पौधों में या तो कीड़ा लग जाता है या फिर वा पौधा किसी कारणवश तैयार नहीं हो पाता है।
नुकसान होता है। इसके साथ ही उत्पादन में भी कमी आती है। मशीन के माध्यम से यदि थरहा तैयार किया जाएगा तो किसानों को जो नुकसान हो रहा है व 5 प्रतिशत रह जाएगा। यानी 90 से 95 प्रतिशत तक पौधे तैयार हो जाएंगे।