राजनांदगांव

मशरूम की खेती करने किसानों को किया प्रेरित
15-Nov-2021 6:48 PM
मशरूम की खेती करने किसानों को किया प्रेरित

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गंडई, 15 नवंबर।
कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र छुईखदान द्वारा तीन दिवसीय मशरूम उत्पादन तकनीक पर एकिप मशरूम, जनपद पंचायत छुईखदान, कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र छुईखदान के तत्वावधान में आदर्श गौठान ग्राम कोडक़ा में प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत ग्राम कोडक़ा, भोथली, रैमड़वा व आसपास के गांव के किसानों तथा चतुर्थ वर्ष के छात्रों को मशरूम उत्पादन तकनीक के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई।

कार्यक्रम के उद्घाटन में अधिष्ठाता डॉ. एनके रस्तोगी द्वारा कृषकों को मशरूम की खेती से आमदनी बढ़ाने व अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रेरित किया गया। डॉ. रस्तोगी ने बताया कि मशरूम एकमात्र ऐसा फसल है। जिसमें विटामिन डी पाया जाता है। साथ ही कहा कि कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र छुईखदान, महिला एवं बाल विकास विभाग व जनपद पंचायत छुईखदान के सामुहिक प्रयास से गर्भवती महिलाओं में होने वाली खून की कमी, बच्चों में कुपोषण को दूर करने में मशरूम महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
कार्यक्रम में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सीएस शुक्ला द्वारा मशरूम उत्पादन के लिए लगने वाले आवश्यक चीजें जैसे पैरा-कुट्टी, स्पॉन, वातावरण, लागत आदि विषयों में विस्तृत जानकारी दी गई तथा ग्रामीणों को मशरूम से होने वाले फायदे के बारे में बताया गया। साथ ही मशरूम से प्रशिक्षण स्थल पर स्व. सहायता समूह के महिला सदस्यों द्वारा डॉ. शुक्ला के मार्गदर्शन में मशरूम का आचार भी बनाया गया। कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र छुईखदान के मशरूम वैज्ञानिक राजेश्वरी कुर्रे ने बताया कि मशरूम प्रोटीन, मिनरल्स, विटामिन डी. का अच्छा स्त्रोत है। साथ ही यह डायबिटिस, ब्लड प्रेशर कोलेस्ट्राल कम करने में भी काफी उपयोगी है। श्रीमती कुर्रे ने बताया कि मशरूम से मशरूम पावडर, सब्जी, आचार, पापड़, बड़ी, बिस्कुट, दवाईयां आदि बनाया जाता है। प्रशिक्षण के दौरान उपस्थित स्व-सहायता समूह के सदस्यों द्वारा लगभग 50 से अधिक मशरूम बैग बनाए गए और प्रशिक्षण के दौरान अच्छा बैग बनाने वाली महिला को प्रोत्साहन हेतु जनप्रतिनिधियों द्वारा पुरस्कृत भी किया गया।

कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र छुईखदान के वैज्ञानिक डॉ. बीएस असाटी द्वारा अंर्तवर्तीय फसल पान.मशरूम के बारे में विस्तृत से जानकारी दी गई। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत छुईखदान प्रकाश कुमार तारम ने बताया कि मशरूम उत्पादन ग्रामीणों के लिए आमदनी का अच्छा स्त्रोत है। लोगों को इसे अधिक से अधिक उत्पादन करने का सुझाव दिया गया। साथ ही कार्यक्रम में तहसीलदार ब्लॉक छुईखदान नेहा देवांगन द्वारा मशरूम के बारे में बताया कि कुपोषण को दूर करने में यह बहुत ही महत्वपूर्ण आहार के रूप में उपभोग किया जा सकता है।

मनरेगा परियोजना अधिकारी सिद्धार्थ जायसवाल द्वारा इसके उत्पादन हेतु बीज की उपलब्धता बढ़ाने एवं बाजार व्यवस्था के बारे में जानकारी दी गई। प्रशिक्षण के तीसरे दिन समापन समारोह में तहसीलदार, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, सरपंच व अन्य जनप्रतिनिधिगण द्वारा दो-दो मशरूम बैग वितरित किए गए। साथ ही ग्राम कोडका, रैमड़वा व भोथली की स्व-सहायता समूह की महिलाओं को भी 10-10 बैग मशरूम वितरित किए गए।

प्रशिक्षण में प्रशिक्षणार्थियों को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के अंतर्गत एकिप मशरूम व कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र छुईखदान द्वारा तीन दिवसीय प्रशिक्षण के प्रमाण पत्र वितरण किए गए। कार्यक्रम का समापन कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र छुईखदान के मशरूम वैज्ञानिक राजेश्वरी कुर्रे द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित सभी अधिकारियों व प्रशिक्षणार्थियों का धन्यवाद ज्ञापन किया गया। इस अवसर पर डॉ. भावना शर्मा, डॉ आईपी पैकरा, ललीता साहू, एकेश कुमार, दीपक कुमार, नूतन कुमार, प्रशांत बघेल, रिया उपाध्याय के साथ-साथ लगभग 50-60 कृषक प्रशिक्षणार्थी व जनप्रतिनिधिगण उपस्थित थे।
 

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