राजनांदगांव

बदबूदार और गंदगी से बसंतपुर तालाब में निस्तारी से बीमारियों को दावत
30-Nov-2021 1:31 PM
बदबूदार और गंदगी से बसंतपुर तालाब में निस्तारी से बीमारियों को दावत

निगम अध्यक्ष धकेता के वार्ड के दशकों पुराने तालाब की हालत से बांशिदों में गुस्सा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 30 नवंबर।
बसंतुपर का दशकों पुराना तालाब अपने अस्तित्व को लेकर संघर्ष कर रहा है। पानी निकासी की व्यवस्था नहीं होने से तालाब का पानी बदबूदार हो गया है। यह तालाब निगम अध्यक्ष हरिनारायण धकेता के वार्ड के अधीन है। तालाब के किनारे बसे लोगों के लिए यह दुर्गंध सेहत के लिहाज से खतरनाक साबित हो रही है। वहीं मछली पालन के कारण भी लोगों को बदबू झेलना पड़ रहा है। तालाब का दायरा एक समय व्यापक था, लेकिन लगातार निर्माण कार्य और अतिक्रमण से तालाब की पुरानी भव्यता सीमित हो गई है। तालाब के वजूद को बचाने के लिए स्थानीय बाशिंदे निगम अध्यक्ष से उम्मीद लगाए हुए हैं।

वार्ड के लोगों का कहना है कि तालाब की सफाई नहीं होने से निस्तारी करना सेहत के विपरीत हो गया है। तालाब में नहाने के दौरान लोगों में चर्मरोग की शिकायतें भी मिल रही हैं। बसंतपुर वार्ड नं. 46 में स्थित तालाब का काफी महत्व रहा है। शहर के चुनिंदा बड़े तालाबों में इसकी गिनती होती रही है। पिछले एक दशक से तालाब के किनारे में अतिक्रमण बढ़े है। वहीं तालाब में निकासी की कमी भी पानी में सडऩ पैदा कर रही है। आसपास की गंदगी भी तालाब में समाहित हो रही है। कूड़ा-कचरा फेंकने से भी तालाब तेजी से पट रहा है। वार्डवासियों ने कई बार निगम प्रशासन से तालाब की सफाई और सौंदर्यीकरण के लिए आवाज भी उठाया है। तालाब के किनारे बसे नागरिकों के लिए गंदगी और बदबू असहनीय हो गई है। पिछले कुछ सालों से तालाब की सफाई में सिर्फ खानापूति की गई है। गहरीकरण के नाम पर तालाब के कुछ हिस्सों में ही खुदाई की गई। यही कारण है कि पुराने मिट्टी के सडऩ से बारिश का पानी नहाने के लायक नहीं रह गया है।

मिली जानकारी के अनुसार इस तालाब का करीब तीन वार्ड के बांशिदे निस्तारी और घरेलू कार्यों के लिए उपयोग करते हैं। अंतिम संस्कार के क्रियाकलापों के लिए भी आए दिन तालाब में लोगों का आना-जाना रहता है। पिछले कुछ सालों से तालाब की नियमित सफाई बंद हो गई है। नतीजतन तालाब का किनारा गंदगी से पटा हुआ है। सफाई के अभाव में तालाब का पानी हरा हो गया है। तालाब के इर्द-गिर्द अब भी लोग खुले में शौच कर रहे हैं। इस संबंध में वार्ड के राहुल मेश्राम ने ‘छत्तीसगढ़’ से कहा कि निकासी का साधन नहीं होने से तालाब में सर्वत्र गंदगी फैली हुई है। मछलीपालन से भी तालाब का पानी खराब हो रहा है। सफाई की सुध नहीं लेने से नियमित तौर पर कचरा का उठाव नहीं होना भी तालाब के पानी को दूषित कर रहा है। इसी तरह दीपक साहू ने कहा कि कुछ साल पहले हुई गहरीकरण के बाद तालाब को गंदगी ने जकड़ लिया है। साहू का कहना है कि वार्ड पार्षद धकेता तालाब की दुर्दशा से अच्छी तरह से वाकिफ है। इसके बाद भी तालाब को बचाने की कोशिश नहीं की जा रही है। वार्ड की ही संगीता मेश्राम ने कहा कि पार्षद का ध्यान नहीं होने से तालाब का ऐतिहासिक महत्व खत्म हो गया है। यह दुर्भाग्य है कि निगम में कांग्रेस का शासन होने के बाद भी निस्तारी  के लिए जरूरी इस तालाब से ध्यान हटा लिया गया है। इस बीच आसपास के क्षेत्र के सबसे बड़े तालाब का पानी निस्तारी के लिहाज से उपयुक्त नहीं रह गया है। तालाब की दुर्गंध से लोगों का जीना मुश्किल हो गया है।


26 लाख से तालाब का होगा कायाकल्प-धकेता
वार्ड नं. 46 के पार्षद और निगम अध्यक्ष हरिनारायण धकेता का दावा है कि जल्द ही तालाब के सौंदर्यीकरण और जीर्णोद्वार का कार्य शुरू होगा। उनका कहना है कि इस कार्य के लिए 26 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति भी हो गई है। निविदा प्रक्रिया के बाद अगले कुछ दिनों में कार्य शुरू होगा। धकेता का कहना है कि स्वीकृत राशि से पचरीकरण, चेयर और अन्य निर्माण कार्य होंगे। निगम अध्यक्ष ने माना कि तालाब अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहा है। निकासी की समस्या से तालाब खतरे में है।

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