बस्तर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 31 दिसंबर। बस्तर जिला कांग्रेस कमेटी शहर अध्यक्ष राजीव शर्मा ने बताया कि छत्तीसगढ़ के गांव और गोठान अब देश के सबसे बड़े और मुख्य समारोह की शान बनेंगे, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सफल और महत्वाकांक्षी गोधन योजना इस बार राजपथ पर होने वाली गणतंत्र दिवस के परेड समारोह का हिस्सा बनेगी। रक्षा मंत्रालय की उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति ने छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना पर बनी झांकी को अपनी हरी झंडी दे दी है, दो माह से नई दिल्ली में चल रही चयन प्रक्रिया के विभिन्न दौर से गुजरते हुए छत्तीसगढ़ ने यह सफलता हासिल की है।
श्री शर्मा ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि देश के सभी राज्यों में से केवल 12 राज्यों को ही इस बार राजपथ पर अपने राज्य की झांकी के प्रदर्शन का अवसर मिला है। यह प्रदेश की जनता के लिए सौभाग्य की बात है कि इतने बड़े समारोह में छत्तीसगढ़ ने अपना स्थान बनाया। छत्तीसगढ़ के साढ़े सात हजार से अधिक गौठानों में 2 रुपए किलो की दर से गोबर खरीदकर स्व-सहायता समूहों के माध्यम से उसका उपयोग विभिन्न उत्पादों को बनाने और स्वच्छता, क्लाइमेट चेंज और स्थानीय स्तर पर रोजगार के वैकल्पिक साधन उपलब्ध कराने की इस योजना को देशभर में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के एक विकल्प के रूप में भी देखा जा रहा है।
आगे श्री शर्मा ने कहा कि राजपथ पर गोधन न्याय योजना पर केंद्रित छत्तीसगढ़ की झांकी ग्रामीण संसाधनों के उपयोग के पारंपरिक ज्ञान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के समन्वय से एक साथ अनेक वैश्विक चिंताओं के समाधानों के लिए विकल्प प्रस्तुत करेगी, झांकी के अग्रभाग में गाय के गोबर को इक_ा करके उन्हें विक्रय के लिए गौठानों के संग्रहण केंद्रों की ओर ले जाती ग्रामीण महिलाओं को दर्शाया जाएगा, ये महिलाएं पारंपरिक आदिवासी वेशभूषा में होंगी, जो हाथों से बने कपड़े और गहने पहने हुए होंगी, इन्हीं में से एक महिला को गोबर से उत्पाद तैयार कर विक्रय के लिए बाजार ले जाते दिखाया जाएगा।
महिलाओं के चारों ओर फूलों के गमलों की सजावट की जाएगी, जो गोठानों में साग-सब्जियों और फूलों की खेती के प्रतीक होंगे, नीचे की ओर गोबर से बने दीयों की सजावट की जाएगी, ये दीये ग्रामीण महिलाओं के जीवन में आए स्वावलंबन और आत्मविश्वास को प्रदर्शित करेंगे।
श्री शर्मा ने कहा कि झांकी के पृष्ठ भाग में गौठानों को रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क के रूप में विकसित होते दिखाया जाएगा, इसमें दिखाया जाएगा कि नई तकनीकों और मशीनों का उपयोग करके महिलाएं किस तरह स्वयं की उद्यमिता का विकास कर रही हैं, तथा गांवों में छोटे-छोटे उद्योग संचालित कर रही है। मध्य भाग में दिखाया जाएगा कि गाय को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के केंद्र में रखकर किस तरह पर्यावरण संरक्षण, जैविक खेती, पोषण, रोजगार और आय में बढ़ोतरी के लक्ष्यों को हासिल किया जा रहा है। सबसे आखिर में चित्रकारी करती हुई ग्रामीण महिला को छत्तीसगढ़ के पारंपरिक शिल्प और कलाओं के विकास की प्रतीक के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा। झांकी में प्रदेश में विकसित हो रही जल प्रबंधन प्रणालियों, बढ़ती उत्पादकता और खुशहाल किसान को भित्ती-चित्र शैली में दिखाया जाएगा। इसी क्रम में गोबर से बनी वस्तुओं और गोबर से वर्मी कंपोस्ट तैयार करती स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को भी झांकी में प्रदर्शित किया जाएगा।